Hindi, asked by kktechnicalzyt123, 9 months ago

निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
1. जैसे सोनहीं मिलत सुहागा
2. तुम स्वामी हम दासा

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Answered by headuts
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Answer:

इस पद में कवि ने उस अवस्था का वर्णन किया है जब भक्त पर भक्ति का रंग पूरी तरह से चढ़ जाता है। एक बार जब भगवान की भक्ति का रंग भक्त पर चढ़ जाता है तो वह फिर कभी नहीं छूटता। कवि का कहना है कि यदि भगवान चंदन हैं तो भक्त पानी है। जैसे चंदन की सुगंध पानी के बूँद-बूँद में समा जाती है वैसे ही प्रभु की भक्ति भक्त के अंग-अंग में समा जाती है। यदि भगवान बादल हैं तो भक्त किसी मोर के समान है जो बादल को देखते ही नाचने लगता है। यदि भगवान चाँद हैं तो भक्त उस चकोर पक्षी की तरह है जो अपलक चाँद को निहारता रहता है। यदि भगवान दीपक हैं तो भक्त उसकी बाती की तरह है जो दिन रात रोशनी देती रहती है। यदि भगवान मोती हैं तो भक्त धागे के समान है जिसमें मोतियाँ पिरोई जाती हैं। उसका असर ऐसा होता है जैसे सोने में सुहागा डाला गया हो अर्थात उसकी सुंदरता और भी निखर जाती है।

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