Hindi, asked by Rahulkumar000, 5 months ago

निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-​

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Answered by Anonymous
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दी गई पंक्तियों भावार्थ निम्न प्रकार से किया गया है।

1. प्रायश्चित होगा, पकवानों पर हाथ लगेगा।

संदर्भ - प्रस्तुत पंक्तियां " भगवतीचरण वर्मा द्वारा लिखित गद्य" प्रायश्चित " से ली गई हैं। इस पाठ में रामू की बहू तथा कबरी बिल्ली का वर्णन किया गया है , रामू की बहू कबरी बिल्ली को बिल्कुल पसंद नहीं करती थी। रामू की बहू रसोई में जो भी खाने पीने की चीजे छिपा कर रखती, कबरी बिल्ली को उसकी भनक पड़ जाती तथा वह उन चीज़ों को चट कर जाती। इन सभी बातों को वजह से रामू की बहू , कबरी बिल्ली से तंग आ गई थी।

गुस्से में उसने कबरी बिल्ली की हत्या कर दी, इसी कारण रामू की बहू को प्रायश्चित करवाने , पंडित परमसुख को बुलवाया गया

व्याख्या - एक दिन रामू की बहू ने रामू के लिए खीर बनाई, उसने मेवे डाले , उसे वर्क से सजाया तथा अपने कमरे में ऊंची जगह पर खीर का कटोरा रख दिया जिससे कबरी बिल्ली उस तक न पहुंच सके। कबरी बिल्ली को खीर की खुशबू आ ही गई तथा उसने झपट्टा मारकर खीर का कटोरा गिरा दिया व चट कर गई। इस प्रसंग के बाद रामू की बहू ने कबरी बिल्ली की मारने का फैसला किया।

दूसरे दिन सवेरे रामू की बहू ने दरवाजे पर चौखट पर दूध का कटोरा रख दिया, दूध पीने अाई कबरी बिल्ली पर रामू की बहू ने पूरे जोर से वार किया तथा बिल्ली वहीं मर गई। खबर हर जगह फैल गई तथा पंडित परमसुख को बुलवाया गया, उस वक्त वे पूजा कर रहे थे, जब उन्होंने सुना की रामू की बहू ने कबरी बिल्ली की हत्या कर दी तब उन्होंने पंडिताईन से कहा क अब रामू के बहू के प्रायश्चित के लिए पूजा होगी तथा उन्हें अच्छे अच्छे पकवान खाने योग्य को मिलेंगे।

2. " हम पुरोहित फिर कौन दिनों के लिए है?"

संदर्भ - प्रस्तुत पंक्तियां " भगवतीचरण वर्मा द्वारा लिखित गद्य" प्रायश्चित " से ली गई हैं। इस पाठ में रामू की बहू तथा कबरी बिल्ली का वर्णन किया गया है , रामू की बहू कबरी बिल्ली को बिल्कुल पसंद नहीं करती थी। रामू की बहू रसोई में जो भी खाने पीने की चीजे छिपा कर रखती, कबरी बिल्ली को उसकी भनक पड़ जाती तथा वह उन चीज़ों को चट कर जाती। इन सभी बातों को वजह से रामू की बहू , कबरी बिल्ली से तंग आ गई थी।

गुस्से में उसने कबरी बिल्ली की हत्या कर दी, इसी कारण रामू की बहू को प्रायश्चित करवाने , पंडित परमसुख को बुलवाया गया

व्याख्या - रामू की बहू द्वारा कबरी बिल्ली की हत्या होने पर आस पड़ोस के सभी लोग एकत्रित हो गए, किसनू की मां, छन्नू की दादी, सभी ने रामू की मां को डराया कि यह तो पाप हो गया, अब प्रायश्चित किए बिना घर में खाना भी नहीं बनेगा। तब पंडितजी पधारे तथा कहा कि चिंता मत कीजिए , हम पुरोहित कब नाम आयेंगे, हम सभी व्यवस्था कर देंगे।

3. " दान पुण्य से ही पाप टलते है।"

संदर्भ - प्रस्तुत पंक्तियां " भगवतीचरण वर्मा द्वारा लिखित गद्य" प्रायश्चित " से ली गई हैं। इस पाठ में रामू की बहू तथा कबरी बिल्ली का वर्णन किया गया है , रामू की बहू कबरी बिल्ली को बिल्कुल पसंद नहीं करती थी। रामू की बहू रसोई में जो भी खाने पीने की चीजे छिपा कर रखती, कबरी बिल्ली को उसकी भनक पड़ जाती तथा वह उन चीज़ों को चट कर जाती। इन सभी बातों को वजह से रामू की बहू , कबरी बिल्ली से तंग आ गई थी।

गुस्से में उसने कबरी बिल्ली की हत्या कर दी, इसी कारण रामू की बहू को प्रायश्चित करवाने , पंडित परमसुख को बुलवाया गया

व्याख्या - प्रायश्चित करवाने के बहाने पंडितजी ने रामू एक मां से बिल्ली के वजन जितनी सोने की बिल्ली मांगी। उन्होंने 21 तोले की बिल्ली मांगी। ले देकर मामला 11 तोले एक बिल्ली पर तय हुआ।

• इन सबके बाद पंडितजी ने कहा कि पाठ भी करवाना पड़ेगा, आप पूजा की सामग्री मेरे घर भेज दीजिए , मै स्वयं ही पूजा कर लूंगा।

पूजा की सामग्री में पंडितजी ने दस मन गेहूँ, एक मन चावल, एक मन दाल, मन-भर तिल, पाँच मन जौ और पाँच मन चना, चार पसेरी घी और मन-भर नमक इन सब की मांग की।

इतनी सब सामग्री एक मांग कर रामू एक बहू हैरान रह गई तथा कहा कि इतना सब मंगवाने में 100 -200 रुपए खर्च हो जाएंगे, उस पर पड़ोस वाली छन्नू की दादी ने कहा कि पाप हुआ है तो दान तो देना ही होगा, दान देने से ही पाप टलेगा।

Answered by ashishrawat08
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