निम्नलिखित पंक्तियों के भाव स्पष्ट करें - बिगरी नहीं बात बनै लाख करौं किन कोय | रहिमन फाटे दूध को म न माखन होय ||
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अर्थ- मनुष्य को सोच समझकर व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है, तो फिर उसे बनाना कठिन होता है, जैसे यदि एक बार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं निकाला जा सकता।
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