Hindi, asked by NamgayWangchuk2472, 9 months ago

निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य - सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(क) पति बनैं चारमुख पूत बनैं पंच मुख नाती बनैं षटमुख तदपि नई - नई।

(ख) चहुँ ओरनि नाचति मुक्तिनटी गुन धूरजटी वन पंचवटी।

(ग) सिंधु तरयो उनको बनरा तुम पै धनुरेख गई न तरी।

(घ) तेलन तूलनि पूँछि जरी न जरी, जरी लंक जराई - जरी।

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Answered by Anonymous
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hyy

I don't know sorry bro

Answered by jayathakur3939
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क) प्रस्तुत पंक्तियों में कवि सरस्वती के बखान को कहने में स्वयं को असमर्थ पाता है। इसमें उनकी महिमा को अतुलनीय बताया है। उसके अनुसार सरस्वती का बखान अकथनीय है। 'नई-नई' में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। कवि ने इसमें अतिशयोक्ति अलंकार का प्रयोग किया है। तत्सम शब्दों 'पाँचमुख', 'षटमुख' तथा 'तदपि' आदि का प्रयोग किया गया है।  

(ख) प्रस्तुत पंक्तियों में पंचवटी स्थान की सुंदरता का वर्णन किया गया है। कवि ने लोक सीमा से परे जाकर इसकी सुंदरता का वर्णन किया है। उसने पंचवटी की शोभा की तुलना शिव के समान की है।  'टी' शब्द का प्रयोग काव्यांश में बहुत सुंदर चमत्कार उत्पन्न कर रहा है। 'मुक्ति नटी' रूपक अलंकार का बड़ा अच्छा उदाहरण है। 'जटी' शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है परन्तु दोनों बार इसके अलग अर्थ भिन्न हैं।    

(ग) प्रस्तुत पंक्तियों में मंदोदरी रावण को आइना दिखाते हुए व्यंग्य कसती है। उसके अनुसार जिस राम के अनुचर बंदर ने विशाल सागर को पार कर दिया और जिसके भाई की खींची लक्ष्मण रेखा तुम पार नहीं कर सकते हो, वह सही मैं कितने शक्तिशाली होंगे।

 (घ) प्रस्तुत पंक्तियों में मंदोदरी ने हनुमान की शक्ति से परिचय कराया है। ब्रजभाषा का सुंदर प्रयोग है। गेयता का गुण विद्यमान है। 'त' तथा 'ज' शब्दों के द्वारा काव्यांश में बहुत सुंदर चमत्कार उत्पन्न किया गया है। यह अनुप्रास अलंकार का सुंदर उदाहरण है। 'जरी' 'जरी' यमक अलंकार का उदाहरण है।

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