Hindi, asked by rk1246878, 1 month ago

निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करो

क) 'अविगत नाथ निरंजन देवा, मैं का जानू तुम्हरि सेवा ।

बांधू न बंधन छोऊं न छाया, तुमही सेऊं निरंजन राया।'​

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Answered by chauhanreetu673
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Explanation:

अबिगत नाथ निरंजन देवा।

मैं का जांनूं तुम्हारी सेवा।। टेक।।

बांधू न बंधन छांऊँ न छाया तुमहीं सेऊँ निरंजन राया।।१।।

चरन पताल सीस असमांना सो ठाकुर कैसैं संपटि समांना।।२।।

सिव सनिकादिक अंत न पाया खोजत ब्रह्मा जनम गवाया।।३।।

तोडूँ न पाती पूजौं न देवा सहज समाधि करौं हरि सेवा।।४।।

नख प्रसेद जाकै सुरसुरी धारा रोमावली अठारह भारा।।५।।

चारि बेद जाकै सुमृत सासा भगति हेत गावै रैदासा।।६।।

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