निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करो
क) 'अविगत नाथ निरंजन देवा, मैं का जानू तुम्हरि सेवा ।
बांधू न बंधन छोऊं न छाया, तुमही सेऊं निरंजन राया।'
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Explanation:
अबिगत नाथ निरंजन देवा।
मैं का जांनूं तुम्हारी सेवा।। टेक।।
बांधू न बंधन छांऊँ न छाया तुमहीं सेऊँ निरंजन राया।।१।।
चरन पताल सीस असमांना सो ठाकुर कैसैं संपटि समांना।।२।।
सिव सनिकादिक अंत न पाया खोजत ब्रह्मा जनम गवाया।।३।।
तोडूँ न पाती पूजौं न देवा सहज समाधि करौं हरि सेवा।।४।।
नख प्रसेद जाकै सुरसुरी धारा रोमावली अठारह भारा।।५।।
चारि बेद जाकै सुमृत सासा भगति हेत गावै रैदासा।।६।।
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