निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या कीजीए।चड़कर मेरे जीवन पथ पर प्रलय चल रहाअपने पथ
Answers
Answered by
1
Answer:
व्याख्या : देवसेना कहती है कि मेरे जीवन रूपी रथ पर सवार होकर प्रलय अपने रास्ते पर चला जा रहा है। ... उसका पूरा जीवन ही दुख में है वह करुणा के स्वर में कहती है कि अंतिम समय में हृदय की वेदना अब उससे संभल नहीं पाएगी इसी कारण उसे मन की लाज गवानी पड़ रही है।
Similar questions