Hindi, asked by kp3266788, 6 months ago

२) निम्नलिखित पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए :
(च) चारु चंद्र ........... झोंकों से ।
(छ) क्या ही स्वच्छ...
शांत और चुपचाप
ววววว
गोहार के​

Answers

Answered by pv057966
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ये पंक्तियां ‘मैथिली शरण गुप्त’ द्वारा लिखित कविता की हैं। कविता बहुत लंबी है, प्रश्न में दी गई दों पंक्तियां कविता के अलग-अलग खंड की हैं.... जिनका पूर्ण खंड के साथ और उनका अर्थ इस प्रकार होगा....

चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में,

स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में।

पुलक प्रकट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से,

मानों झीम रहे हैं तरु भी, मन्द पवन के झोंकों से॥

भावार्थ —

कविवर श्री गुप्त जी कहते हैं कि सुंदर चंद्रमा की चंचल किरणें जल अर्थात नदी-तालाब-झील और थल अर्थात जमीन पर सभी जगहों पर खेल रही हैं। पृथ्वी से लेकर आकाश तक चारों तरफ चंद्रमा की स्वच्छ और साफ चांदनी बिछी हुई है जिसे देख कर ऐसा लग रहा है कि धरती से लेकर आसमान तक कोई स्वच्छ सफेद चादर बिछी हुई हो। हरी घास के तिनके अपनी नोकों के माध्यम से अपनी खुशी को प्रकट कर रहे हैं और वह इस प्रकार हिल रहे हैं जैसे वह भी प्रकृति के इस मनोरम दृश्य से प्रसन्न हो। चारों तरफ सुगंधित हवा बह रही है और वृक्ष भी धीरे-धीरे हिल कर इस मनमोहक वातावरण को अपना मौन समर्थन दे रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि इस सुंदर वातावरण से वृक्ष भी मस्ती में झूम कर अपनी प्रसन्नता को प्रकट कर रहे हो। चारों तरफ उल्लास और उमंग का वातावरण दिखाई दे रहा है।

क्या ही स्वच्छ चाँदनी है यह, है क्या ही निस्तब्ध निशा;

है स्वच्छन्द-सुमंद गंध वह, निरानंद है कौन दिशा?

बंद नहीं, अब भी चलते हैं, नियति-नटी के कार्य-कलाप,

पर कितने एकान्त भाव से, कितने शांत और चुपचाप!

भावार्थ —

पंचवटी में जो चारों तरफ प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा पड़ा है उसको निहार कर मन में विचार आता है कि यहां कितनी स्वच्छ और निर्मल चांदनी है। रात भी बहुत शांत है। चारों तरफ सुगंधित वायु धीरे धीरे बह रही है। पंचवटी में चारों तरफ आनंद ही आनंद बिखरा पड़ा है। पूरी तरह शांत वातावरण है और सभी लोग सो रहे हैं। फिर भी नियति रूपी नटी अर्थात नर्तकी अपने सारे क्रियाकलापों को बहुत शांत भाव से पूरा करने में मगन है। अकेले-अकेले और निरंतर एवं चुपचाप अपने कर्तव्यों का पालन किए जा रही है।

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