४) निम्नलिखित पंक्तियों का सरल अर्थ रमा निजी।
जरें जरें में खुदा, कण-कण में भगवान,
लेकिन 'जरे' को कभी अलग न कण' से मान।
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भगवान कण-कण में विराजमान हैं। यह बौद्धिकता है, किंतु परमात्मा को प्रकट करना हार्दिकता है। तन के लिए जीतना भोजन आवश्यक है, मन के लिए भजन उतना ही आवश्यक है, जैसे बिना भूख के समय होने पर भोजन कर लेते हैं, वैसे ही मन न लगने पर समय से भजन करें।
परमात्मा का मिलन संत की कृपा से होता है। राम-सुग्रीव का मिलन भगवान हनुमान जी जैसे संत ही करा सकते हैं। जब कोई काल से डरता है तो संत भगवान की स्मृति दिलाकर उसे निर्भय करते हैं। जब कोई भगवान से न डरे तो संत काल का भय दिखाकर उसमें भय उत्पन्न कर भगवान से जोड़ देते हैं।
विभीषण ने हनुमान जी में भगवान को देखा। भक्ति विज्ञान है, अंधविश्वास नहीं। जैसे पानी में बिजली है, इसको जानकार बिजली पैदा करते हैं, यह विज्ञान है। कण-कण में परमात्मा विराजमान हैं। यह भाव ही श्रेष्ठ है।
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