निम्नलिखित पंक्तियों में आए अलंकारों के नाम लिखि- जप गई, क) गुरु कुम्हार सिष कुंभ है, गढ़ि-गढ़ि कोढ़ खोट। ख) मृदु मंद-मंद मंथर मंथर। ग) रघुपति राघव राजा राम। घ) वह दीपशिखा-सी शांत भाव में लीन। ङ) सुन सिय सत्य असीस हमारी। च) चंद्रमुख को देखकर मन भरता नहीं। छ) मखमल-से झूल पड़े, हाथी-सा टीला। ज) विमल वाणी ने वीणा ली कोमल कर में सप्रीत। झ) प्रातः नभ था बहुत नीला शंख जैसे। ञ) वन शारदी चंद्रिका-चादर ओढ़े। २
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