Hindi, asked by uikeymanori, 3 months ago

निम्नलिखित पंक्तियों में अलंकार छांट कर लिखिए​

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Answered by adiba2005
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Explanation:

परिचय :

अलंकार का अर्थ है-आभूषण। अर्थात् सुंदरता बढ़ाने के लिए प्रयुक्त होने वाले वे साधन जो सौंदर्य में चार चाँद लगा देते हैं। कविगण कविता रूपी कामिनी की शोभा बढ़ाने हेतु अलंकार नामक साधन का प्रयोग करते हैं। इसीलिए कहा गया है-‘अलंकरोति इति अलंकार।’

परिभाषा :

जिन गुण धर्मों द्वारा काव्य की शोभा बढ़ाई जाती है, उन्हें अलंकार कहते हैं।

अलंकार के भेद –

काव्य में कभी अलग-अलग शब्दों के प्रयोग से सौंदर्य में वृद्धि की जाती है तो कभी अर्थ में चमत्कार पैदा करके। इस आधार पर अलंकार के दो भेद होते हैं –

(अ) शब्दालंकार

(ब) अर्थालंकार

(अ) शब्दालंकार –

जब काव्य में शब्दों के माध्यम से काव्य सौंदर्य में वृद्धि की जाती है, तब उसे शब्दालंकार कहते हैं। इस अलंकार में एक बात रखने वाली यह है कि शब्दालंकार में शब्द विशेष के कारण सौंदर्य उत्पन्न होता है। उस शब्द विशेष का पर्यायवाची रखने से काव्य सौंदर्य समाप्त हो जाता है; जैसे –

कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय।

यहाँ कनक के स्थान पर उसका पर्यायवाची ‘गेहूँ’ या ‘धतूरा’ रख देने पर काव्य सौंदर्य समाप्त हो जाता है।

शब्दालंकार के भेद:

शब्दालंकार के तीन भेद हैं –

अनुप्रास अलंकार

यमक अलंकार

श्लेष अलंकार

1. अनुप्रास अलंकार- जब काव्य में किसी वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार होती है अर्थात् कोई वर्ण एक से अधिक बार

आता है तो उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं; जैसे –

तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।

यहाँ ‘त’ वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हुई है। अतः यहाँ अनुप्रास अलंकार है।

अन्य उदाहरण –

रघुपति राघव राजाराम। पतित पावन सीताराम। (‘र’ वर्ण की आवृत्ति)

चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही हैं जल-थल में। (‘च’ वर्ण की आवृत्ति)

मुदित महीपति मंदिर आए। (‘म’ वर्ण की आवृत्ति)

मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो। (‘म’ वर्ण की आवृत्ति)

सठ सुधरहिं सत संगति पाई। (‘स’ वर्ण की आवृत्ति)

कालिंदी कूल कदंब की डारन । (‘क’ वर्ण की आवृत्ति)

2. यमक अलंकार-जब काव्य में कोई शब्द एक से अधिक बार आए और उनके अर्थ अलग-अलग हों तो उसे यमक अलंकार होता है; जैसे- तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती है।

उपर्युक्त पंक्ति में बेर शब्द दो बार आया परंतु इनके अर्थ हैं – समय, एक प्रकार का फल। इस तरह यहाँ यमक अलंकार है।

अन्य उदाहरण –

कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय।

या खाए बौराए नर, वा पाए बौराय।।

यहाँ कनक शब्द के अर्थ हैं – सोना और धतूरा। अतः यहाँ यमक अलंकार है।

काली घटा का घमंड घटा, नभ तारक मंडलवृंद खिले।

यहाँ एक घटा का अर्थ है काली घटाएँ और दूसरी घटा का अर्थ है – कम होना।

है कवि बेनी, बेनी व्याल की चुराई लीन्ही

यहाँ एक बेनी का आशय-कवि का नाम और दूसरे बेनी का अर्थ बाला की चोटी है। अत: यमक अलंकार है।

रती-रती सोभा सब रति के शरीर की।

यहाँ रती का अर्थ है – तनिक-तनिक अर्थात् सारी और रति का अर्थ कामदेव की पत्नी है। अतः यहाँ यमक अलंकार है।

नगन जड़ाती थी वे नगन जड़ाती है।

यहाँ नगन का अर्थ है – वस्त्रों के बिना, नग्न और दूसरे का अर्थ है हीरा-मोती आदि रत्न।

3. श्लेष अलंकार- श्लेष का अर्थ है- चिपका हुआ। अर्थात् एक शब्द के अनेक अर्थ चिपके होते हैं। जब काव्य में कोई शब्द एक बार आए और उसके एक से अधिक अर्थ प्रकट हो, तो उसे श्लेष अलंकार कहते हैं; जैसे –

रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।

पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष चून।।

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