निम्नलिखित पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है? नाम लिखिए।
1. शशि-मुख पर घूघट डाले।
2. मुदित महीपति मंदिर आए।
3. यह देखिए, अरविंद से शिशुवद कैसे सो रहे।
4 रति-रति शोभा सब रति के शरीर की।
5. कल कानन कुंडल मोर पखा, उर पै बनमाल बिराजत है।
6. हरपाया ताल लाया पानी परात भरके।
7. कहे कवि बेनी, बेनी व्याल की चुराई लीन्हीं।
8. बरसत बारिद बूँद गहि, चाहत चढ़न अकाश।
9. हाय! फूल-सी कोमल बच्ची हुई राख की थी ढेरी।
10. सिर फट गया उसका वहीं मानो अरुण रंग का घड़ा।
11. पीपर पात सरिस मन डोला।
12. आरसी से अंबर में आभासी उजारी लगे।
13. कंकन किकिन नूपुर धुनि सुनि।
14. बारे उजियारो करे बढ़े अँधेरो होया
15. मुख बाल रवि-सम लाल होकर ज्वाल-सा बोधित हुआ।
16. मनहुँ नीलमणि सैल पर, आतप पर्यो प्रभात।
17. मैया मैं तो चंद्र-खिलौना लैहों।
18. मेघ आए बन ठन के सँवर के।
19. है बसुंधरा बिखरा देती, मोती सबके सोने पर।
20. सुनत जोग लागत है ऐसो, ज्यों करुई ककड़ी।
21. चरण-कमल बंदी हरिराई।
22. जा तन की झाँई परे श्याम हरित दुति होय।
23. हिमकणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए।
24. तीन बेर खाती थीं वे तीन बेर खाती हैं।
25. सहस्रबाहु सम सो रिपु मोरा।
26. कर का मनका डारि दे मन का मनका फेर।
27. आगे-आगे नाचती गाती बयार चली।
28. अपरस रहत सनेह तगा तै, नाहिन मन अनुरागी
29. पुरइनि पात रहत जल भीतर
30. प्रीति-नदी में पाऊँन बोर्यो
31. सूरदास अबला हम भोरी, गुर चींटी ज्यों पागी
32. अवधि अधार आस आवन की
33. अब इन जोग सँदेसनि सुनि-सुनि, विरहिनि विरह दही
34. हमारे हरि हारिल की लकड़ी।
35. सुनहु राम जेहि सिवधनु तोरा। सहस्रबाहु सम सो रिपु मोरा।
36. छुअत टूट रघुपतिहु न दोसू। मुनि बिनु काज करिअ कत रोसू।
37. मधुर-मधुर मुसकान मनोहर, मनहुँ देश का उजियाला
38. सुबरन को ढूँढ़त फिरत कवि व्यभिचारी चोर
39. जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं
40. वह दीपशिखा-सी शांत भाव में लीन
41. वह टूटे तरु की छुरी लता-सी दीन
42. सत्य सील दृढ़ ध्वजा-पताका
43. ले चला साथ में तुझे कनक ज्यों भिक्षु लेकर स्वर्ण-झनक
44. लो यह लतिका भी भर लाई
मधु मुकुल नवल रस गागरी
45. मेघमय आसमान से उतर रही
संध्या सुंदरी परी-सी
धीरे-धीरे-धीरे।
46. कढ़त साथ ही म्यान तें, असि रिपु तन के प्रान
guys plz give me right answer plz this is class 9 Hindi Grammar Chapter 5 Alankar i need this answer right now fast plz i will mark as brainiest
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निम्नलिखित पंक्तियों में अलंकार के नाम इस प्रकार है :
शशि-मुख पर घूघट डाले- रूपक अलंकार
मुदित महीपति मंदिर आए- अनुप्रास अलंकार
यह देखिए, अरविंद से शिशुवद कैसे सो रहे-लुप्तोपमा अलंकार
रति-रति शोभा सब रति के शरीर की-यमक अलंकार
कल कानन कुंडल मोर पखा, उर पै बनमाल बिराजत है-अनुप्रास अलंकार
हरपाया ताल लाया पानी परात भरके- मानवीकरण अलंकार
कहे कवि बेनी, बेनी व्याल की चुराई लीन्हीं।- यमक अलंकार
बरसत बारिद बूँद गहि, चाहत चढ़न अकाश।-उत्प्रेक्षा अलंकार
हाय! फूल-सी कोमल बच्ची हुई राख की थी ढेरी।- उपमा अलंकार
सिर फट गया उसका वहीं मानो अरुण रंग का घड़ा- उत्प्रेक्षा अलंकार
पीपर पात सरिस मन डोला।-उपमा अलंकार”
आरसी से अंबर में आभासी उजारी लगे।-अनुप्रास अलंकार
13. कंकन किकिन नूपुर धुनि सुनि।- श्रृंगार रस
14. बारे उजियारो करे बढ़े अँधेरो होया- श्लेष अलंकार
15. मुख बाल रवि-सम लाल होकर ज्वाल-सा बोधित हुआ।-उपमा अलंकार
16. मनहुँ नीलमणि सैल पर, आतप पर्यो प्रभात।-उत्प्रेक्षा अलंकार
17. मैया मैं तो चंद्र-खिलौना लैहों।-रूपक अलंकार
18. मेघ आए बन ठन के सँवर के।-मानवीकरण अलंकार
19. है बसुंधरा बिखरा देती, मोती सबके सोने पर।-मानवीकरण अलंकार
20. सुनत जोग लागत है ऐसो, ज्यों करुई ककड़ी।-उपमा अलंकार”
21. चरण-कमल बंदी हरिराई। - रूपक अलंकार
22. जा तन की झाँई परे श्याम हरित दुति होय। -श्लेष अलंकार
23. हिमकणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए। -उत्प्रेक्षा अलंकार
24. तीन बेर खाती थीं वे तीन बेर खाती हैं। - यमक अलंकार
25. सहस्रबाहु सम सो रिपु मोरा। -अनुप्रास अलंकार
26. कर का मनका डारि दे मन का मनका फेर। -यमक अलंकार
27. आगे-आगे नाचती गाती बयार चली। - मानवीकरण अलंकार
28. अपरस रहत सनेह तगा तै, नाहिन मन अनुरागी - रूपक अलंकार
29. पुरइनि पात रहत जल भीतर -रूपक अलंकार
30. प्रीति-नदी में पाऊँन बोर्यो-रुपक अलंकार
31. सूरदास अबला हम भोरी, गुर चींटी ज्यों पागी - उपमा अलंकार
32. अवधि अधार आस आवन की - उपमा अलंकार
33. अब इन जोग सँदेसनि सुनि-सुनि, विरहिनि विरह दही - अनुप्रास अलंकार
34. हमारे हरि हारिल की लकड़ी। -रुपक अलंकार
35. सुनहु राम जेहि सिवधनु तोरा। सहस्रबाहु सम सो रिपु मोरा। -अनुप्रास अलंकार
36. छुअत टूट रघुपतिहु न दोसू। मुनि बिनु काज करिअ कत रोसू। -
37. मधुर-मधुर मुसकान मनोहर, मनहुँ देश का उजियाला - अनुप्रास
38. सुबरन को ढूँढ़त फिरत कवि व्यभिचारी चोर - श्लेष अलंकार
39. जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं -यमक अलंकार
40. वह दीपशिखा-सी शांत भाव में लीन -उपमा अलंकार
41. वह टूटे तरु की छुरी लता-सी दीन -उपमा अलंकार
42. सत्य सील दृढ़ ध्वजा-पताका -रूपक अलंकार
43. ले चला साथ में तुझे कनक ज्यों भिक्षु लेकर स्वर्ण-झनक - उत्प्रेक्षा अलंकार
44. लो यह लतिका भी भर लाई मधु मुकुल नवल रस गागरी- मानवीकरण अलंकार
45. मेघमय आसमान से उतर रही धीरे-धीरे-धीरे- मानवीकरण अलंकार
46. कढ़त साथ ही म्यान तें, असि रिपु तन के प्रान-अतिश्योक्ति अलंकार