निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर लिखिए-
क. भाषा किसे कहते हैं?
ख. भाषा के मुख्य रूप कौन-कौन से हैं? उनका संक्षिप्त परिचय दीजिए।
ग. बोली से आप क्या समझते हैं?
घ. मातृभाषा और राजभाषा में क्या अंतर है?
ङ. लिपि किसे कहते हैं?
च. व्याकरण से आप क्या समझते हैं?
Answers
Explanation:
क. भाषा किसे कहते हैं?
ans भाषा के प्रकार भाषा के तीन रूप होते है- मौखिक भाषा लिखित भाषा सांकेतिक भाषा। मौखिक भाषा:-विद्यालय में वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में वक्ताओं ने बोलकर अपने विचार प्रकट किए तथा श्रोताओं ने सुनकर उनका आनंद उठाया। यह भाषा का मौखिक रूप है।
ख. भाषा के मुख्य रूप कौन-कौन से हैं? उनका संक्षिप्त परिचय दीजिए।
ans
भाषा के प्रकार भाषा के तीन रूप होते है- (1)मौखिक भाषा (2)लिखित भाषा (3)सांकेतिक भाषा। (1)मौखिक भाषा :-विद्यालय में वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में वक्ताओं ने बोलकर अपने विचार प्रकट किए तथा श्रोताओं ने सुनकर उनका आनंद उठाया। यह भाषा का मौखिक रूप है। इसमें वक्ता बोलकर अपनी बात कहता है व श्रोता सुनकर उसकी बात समझता है। इस प्रकार, भाषा का वह रूप जिसमें एक व्यक्ति बोलकर विचार प्रकट करता है और दूसरा व्यक्ति सुनकर उसे समझता है, मौखिक भाषा कहलाती है। दूसरे शब्दों में- जिस ध्वनि का उच्चारण करके या बोलकर हम अपनी बात दुसरो को समझाते है, उसे मौखिक भाषा कहते है। उदाहरण: टेलीफ़ोन, दूरदर्शन, भाषण, वार्तालाप, नाटक, रेडियो आदि। यह भाषा का प्राचीनतम रूप है। मनुष्य ने पहले बोलना सीखा। इस रूप का प्रयोग व्यापक स्तर पर होता है। (2)लिखित भाषा :-मुकेश छात्रावास में रहता है। उसने पत्र लिखकर अपने माता-पिता को अपनी कुशलता व आवश्यकताओं की जानकारी दी। माता-पिता ने पत्र पढ़कर जानकारी प्राप्त की। यह भाषा का लिखित रूप है। इसमें एक व्यक्ति लिखकर विचार या भाव प्रकट करता है, दूसरा पढ़कर उसे समझता है। इस प्रकार भाषा का वह रूप जिसमें एक व्यक्ति अपने विचार या मन के भाव लिखकर प्रकट करता है और दूसरा व्यक्ति पढ़कर उसकी बात समझता है, लिखित भाषा कहलाती है। दूसरे शब्दों में- जिन अक्षरों या चिन्हों की सहायता से हम अपने मन के विचारो को लिखकर प्रकट करते है, उसे लिखित भाषा कहते है। उदाहरण:पत्र, लेख, पत्रिका, समाचार-पत्र, कहानी, जीवनी, संस्मरण, तार आदि। (3)सांकेतिक भाषा :- जिन संकेतो के द्वारा बच्चे या गूँगे अपनी बात दूसरों को समझाते है, वे सब सांकेतिक भाषा कहलाती है। दूसरे शब्दों में- जब संकेतों (इशारों) द्वारा बात समझाई और समझी जाती है, तब वह सांकेतिक भाषा कहलाती है। जैसे- चौराहे पर खड़ा यातायात नियंत्रित करता सिपाही, मूक-बधिर व्यक्तियों का वार्तालाप आदि। इसका अध्ययन व्याकरण में नहीं किया जाता। पंजाब मे पाठ 1 भाषा आर लिपि
बोली से आप क्या समझते हैं?
प्रत्येक प्राणी के हृदय में परिस्थितियों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के भावों का उदय हुआ करता है और इन भावों को दूसरों पर प्रकट करने की भी प्रत्येक प्राणी को आवश्यकता होती है। एक समय वह था जब मनुष्य एक विकसित और शक्ति सम्पन्न प्राणी नहीं था। वह जंगलों में रहता था और जंगली जानवरों का शिकार कर उन्हीं के चर्म से अपने शरीर को ढंकता था। संकेत ही उसके भाव प्रकाशन थे, जिसके चिह्न आज भी गुफाओं, कंदराओं में पाए जाते हैं परन्तु धीरे-धीरे वह आगे बढ़ा और सभ्यता की ओर चला उसने अपनी भाव प्रकाशन प्रणाली में उन्नति की और जीभ, कंठ, आदि का सहारा लेकर उसने नई-नई ध्वनियों को जन्म दिया। ये ध्वनियाँ ही भाषा के नाम से पुकारी जाने लगीं।
प्रत्येक भाषा का विकास बोलियों से ही होता है। जब बोलियों के व्याकरण का मानकीकरण हो जाता है और उस बोली के बोलने या लिखने वाले इसका ठीक से अनुकरण करते हुए व्यवहार करते हैं तथा वह बोली भावाभ्यक्ति में इतनी सक्षम हो जाती है कि लिखित साहित्य का रूप धारण कर सके तो उसे भाषा का स्तर प्राप्त हो जाता है। किसी बोली का महत्व इस बात पर निर्भर करता है कि समाजिक व्यवहार और शिक्षा व साहित्य में उसका क्या महत्व है। अनेक बोलियाँ मिलकर किसी एक भाषा को समृद्ध करती हैं। इसी प्रकार एक समृद्ध भाषा अपनी बोलियों को समृद्ध करती है। अतः कहा जा सकता है कि भाषा व बोलियाँ परस्पर एक दूसरे को समृद्ध करते हैं।
पशु-पक्षी अपनी भावाभिव्यक्तियों के लिए जिन ध्वनियों का प्रयोग करते हैं उन्हें भी बोली कहते हैं। इन बोलियों का भी नाम होता है जैसे शेर की बोली को दहाड़ना कहते हैं, हाथी की बोली को चिंघाड़ना और घोड़े की बोली को हिनहिनाना।