Hindi, asked by ansh9921, 10 months ago

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए: (क) ततांरा-वामीरो कथा के आधार पर प्रतिपद कीजिए कि रूढ़ियाँ बंधन बनने लगें तो उन्हें टूट जाना चाहिए| (ख) हमारी फिल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ‘ग्लोरिफाई’ क्यों कर दिया जाता है? ‘तीसरी कसम’ के शिल्पकार शैलेन्द्र के आधार पर उत्तर दीजिए| (ग) ‘गिरगिट’ पाठ में चौराहे पर खड़ा व्यक्ति ज़ोर-ज़ोर से क्यों चिल्ला रहा था?

Answers

Answered by chandrashekharrai
0

Answer:

sorry guys I can't help you ........

Explanation:

iiiiiiiii

Answered by babundkumar45
1

Answer:

उत्तर नीचे दिया गया है

Explanation:

(क)— ये बात बिलकुल सही है कि रूढ़ियाँ जब बोझ बनने लगें तो उनका टूट जाना ही अच्छा है। कोई भी नियम एक अनूठे सामाजिक परिवेश की देन होता है। ततांरा-वामीरो एक दूसरे से बहुत प्रेम करते थे लेकिन वहाँ की परंपरा ऐसी थी की एक द्वीप के लोग अन्य द्वीप के लोगों से विवाह नहीं कर सकते थे| कोई भी रीति अथवा परंपरा हमेशा स्थिर नहीं रहती| समय के साथ चीजें बदल जाती हैं। लोगों की मानसिकता और सामाजिक ढ़ाँचा परिवर्तनशील होता है। जो बात एक खास समय में उचित लगती है, वही बात भविष्य के बदले हुए परिवेश में व्यावहारिक तौर पर अपनी सार्थकता खो देती है। ऐसे में वो बात हमारे लिए बोझ बन जाती है। इसलिए उचित अवसर पर पुरानी प्रणाली को तोड़ना ही अच्छा होता है।

(ख)— फिल्मकार हमेशा दर्शकों का भावनात्मक शोषण करना चाहते हैं। इसलिए फिल्मों में त्रासद स्थितियों को ग्लोरिफाई किया जाता जाता है ताकि फिल्म को अधिक आकर्षक और विशिष्ट बनाया जा सके| उनका उद्देश्य सिर्फ टिकट—विंडो पर ज्यादा से ज्यादा टिकटें बिकवाना और अधिक पैसा कमाना होता है। इसलिए फिल्म में दुख को बढ़ा—चढ़ाकर दिखाते हैं। वास्तव में वो सच नहीं होता लेकिन दर्शक उसे सत्य मान लेते हैं। इस सब के पीछे फिल्म निर्माता का मूल उद्देश्य फिल्म से अधिक से अधिक धन कमाना होता है|

(ग)— काठगोदाम के पास ख्यूक्रिन नामक एक सुनार की उंगली में कुत्ते ने काट लिया था। पीड़ित सुनार ने उस कुत्ते को पकड़कर खूब मारा था। ख्यूक्रिन बुरी तरह घायल था इसीलिए ख्यूक्रिन चौराहे पे खड़ा हो कर ज़ोर ज़ोर से गुस्से में चिल्ला रहा था |

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