निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −
ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के कौन-कौन से सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है?
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उत्तर :
ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के निम्नलिखित सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है जो इस प्रकार से है :
संध्या के समय जब गोपालक गायें चराकर गांव में लौटते हैं, तो उनके और उनकी गायों के चलने से पैदा हुई धूल वातावरण में ऐसे भर जाती है कि शाम के समय को गोधूलि का नाम दिया गया है। गांव की अमराइयों के पीछे डूबते होते हुए सूर्य की किरणें धूलि पर पड़ती है तो धूल भी सोने के रंग जैसी हो जाती है। सूर्य के छिपने के बाद जब गांव की कच्ची सड़क से कोई बैलगाड़ी निकल जाती है तो उसके पीछे उड़ने वाली धूल रूई के बादल के समान दिखाई देती है और चांदनी रात में मेले जाने वाली बैलगाड़ियों के पीछे उड़ने वाली धूल चांदनी जैसी लगती है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के निम्नलिखित सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है जो इस प्रकार से है :
संध्या के समय जब गोपालक गायें चराकर गांव में लौटते हैं, तो उनके और उनकी गायों के चलने से पैदा हुई धूल वातावरण में ऐसे भर जाती है कि शाम के समय को गोधूलि का नाम दिया गया है। गांव की अमराइयों के पीछे डूबते होते हुए सूर्य की किरणें धूलि पर पड़ती है तो धूल भी सोने के रंग जैसी हो जाती है। सूर्य के छिपने के बाद जब गांव की कच्ची सड़क से कोई बैलगाड़ी निकल जाती है तो उसके पीछे उड़ने वाली धूल रूई के बादल के समान दिखाई देती है और चांदनी रात में मेले जाने वाली बैलगाड़ियों के पीछे उड़ने वाली धूल चांदनी जैसी लगती है।
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Explanation:
ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के द्वारा अनेक सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है जब हम राज्यों के पीछे सूर्य की किरणें धूल पर पड़ती है तो ऐसा लगता है कि मानो आकाश में सोने की परत छा गई हो सूर्यास्त के बाद लिख पर गाड़ी के निकल जाने के बाद धूल आसमान में ऐसे छा जाती है मानवी के बादल छा गए हो या यूं लगता है मानो वह एरावत हाथी को जाने के लिए बनाया गया तारों भरा मार्ग हो चांदनी रात में मेले पर जाने वाली गाड़ियों के पीछे धूल ऐसे उड़ती है मानो कभी कल्पना उड़ान पर हो
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