निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −
कविता को विडंबना मानते हुए लेखक ने क्या कहा है?
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उत्तर :
लेखक का विचार है की गोधूलि पर अनेक कवियों ने कविताएं लिखी है परंतु वे इस धूलि को सजीवता से चित्रित नहीं कर पाए, जो कि शाम के वक्त गाऐं चराकर लौटते समय ग्वालों और गायों के पैर से उठकर पूरे वातावरण में फैल जाती हैं। ज्यादातर कवि शहरों के रहने वाले हैं। शहरों में धूल-धक्कड़ तो होता है परंतु गांव की गोधूलि नहीं होती। इसलिए वे अपनी कविताओं में गांव की गोधूलि का सजीव चित्रण नहीं कर पाए। अर्थ यह है कि कवियों ने उन्हें जिसे देखा नहीं, अनुभव नहीं किया , भोगा नहीं उसी को अपनी कविताओं में उतार दिया। इसमें कविता अपने सजीव रूप से से परे हो गई है इसी को लेखक ने कविता की विडंबना माना है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
लेखक का विचार है की गोधूलि पर अनेक कवियों ने कविताएं लिखी है परंतु वे इस धूलि को सजीवता से चित्रित नहीं कर पाए, जो कि शाम के वक्त गाऐं चराकर लौटते समय ग्वालों और गायों के पैर से उठकर पूरे वातावरण में फैल जाती हैं। ज्यादातर कवि शहरों के रहने वाले हैं। शहरों में धूल-धक्कड़ तो होता है परंतु गांव की गोधूलि नहीं होती। इसलिए वे अपनी कविताओं में गांव की गोधूलि का सजीव चित्रण नहीं कर पाए। अर्थ यह है कि कवियों ने उन्हें जिसे देखा नहीं, अनुभव नहीं किया , भोगा नहीं उसी को अपनी कविताओं में उतार दिया। इसमें कविता अपने सजीव रूप से से परे हो गई है इसी को लेखक ने कविता की विडंबना माना है।
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लेखक का विचार है की गोधूलि पर अनेक कवियों ने कविताएं लिखी है परंतु वे इस धूलि को सजीवता से चित्रित नहीं कर पाए, जो कि शाम के वक्त गाऐं चराकर लौटते समय ग्वालों और गायों के पैर से उठकर पूरे वातावरण में फैल जाती हैं। ज्यादातर कवि शहरों के रहने वाले हैं। शहरों में धूल-धक्कड़ तो होता है परंतु गांव की गोधूलि नहीं होती। इसलिए वे अपनी कविताओं में गांव की गोधूलि का सजीव चित्रण नहीं कर पाए। अर्थ यह है कि कवियों ने उन्हें जिसे देखा नहीं, अनुभव नहीं किया , भोगा नहीं उसी को अपनी कविताओं में उतार दिया। इसमें कविता अपने सजीव रूप से से परे हो गई है इसी को लेखक ने कविता की विडंबना माना है।
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