निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −
लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?
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उत्तर :
लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना ऐसी होनी चाहिए कि धर्म की उपासना के मार्ग में कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए । जिसका मन चाहे जिस प्रकार चाहे उसी प्रकार धर्म की भावना को अपने मन में जगाने के लिए स्वतंत्र हो। धर्म मन का सौदा हो ,ईश्वर और आत्मा के बीच का संबंध हो, आत्मा को शुद्ध करने और उसे उठाने का साधन हो । दो अलग धर्मों के मानने वालों के बीच भेदभाव नहीं होना चाहिए। जो व्यक्ति जैसा धर्म अपनाना चाहे उसे वैसा धर्म अपनाने की पूरी स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना ऐसी होनी चाहिए कि धर्म की उपासना के मार्ग में कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए । जिसका मन चाहे जिस प्रकार चाहे उसी प्रकार धर्म की भावना को अपने मन में जगाने के लिए स्वतंत्र हो। धर्म मन का सौदा हो ,ईश्वर और आत्मा के बीच का संबंध हो, आत्मा को शुद्ध करने और उसे उठाने का साधन हो । दो अलग धर्मों के मानने वालों के बीच भेदभाव नहीं होना चाहिए। जो व्यक्ति जैसा धर्म अपनाना चाहे उसे वैसा धर्म अपनाने की पूरी स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।
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Answer:
लेखक के हिसाब से धर्म की उपासना के मार्ग में कोई रुकावट न हो। हर व्यक्ति को अपने हिसाब से धर्म की भावना को जगाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। धर्म एक साधन हो जिससे मन का सौदा हो, ईश्वर और आत्मा के बीच संबंध स्थापित हो, और जिससे आत्मा शुद्ध हो।
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