निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए। (1) लेखक मुंशी प्रेमचंद द्वारा अनूदित पत्र किसे लिखा गया और इस पत्र में किसका वर्णन किया गया है?
(ii) पत्र में बाज़ की आवाज़ के बारे में क्या बताया है?
Answers
Answer:
- प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1980 को वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाकमुंशी थे। उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। प्रेमचंद (प्रेमचन्द) की आरम्भिक शिक्षा फ़ारसी में हुई।
- यह पक्षी 320 किमी प्रति घंटे से भी अधिक गति से उड़ सकता है | यह माँसाहारी होता है | जंगलो में इसका जीवनकाल 17 वर्षो का होता है | मादा आकार में नर से ज्यादा बड़ी होती है | इनके शरीर की लम्बाई 13-23 इंच तथा पंख की लम्बाई 29-47 इंच | यह सिर्फ आसमान का सबसे तेज पक्षी ही नही बल्कि धरती पर सबसे तेज दौड़ने वाला पक्षी है | छाती की मजबूत मांसपेशियाँ , लम्बे पंख और स्ट्रीमलाइन आकार के फाल्कन सही मायने में रफ्तार के लिए ही बने है | यह अंटार्टिका के अलावा अन्य सभी महाद्वीपों पर पाया जाता है | यह ऊँचे पहाडो , विस्तृत रेगिस्तान और जंगलो में रहना पसंद नही करता है | इसे नीली स्लेटी और उसी रंग के लम्बे नुकील पंखो और पेट पर सफेद एवं काले धब्बो से पहचाना जाता है | यह मीडियम साइज़ के चिड़िया जैसे बत्तख और चमकादड को अपना शिकार बनाता है | ये 2-3 वर्षो में ब्रीड करते है |
धनपत राय श्रीवास्तव (31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936) जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। उन्होंने हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बन्द करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबन्ध, साहित्य का उद्देश्य अन्तिम व्याख्यान, कफन अन्तिम कहानी, गोदान अन्तिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अन्तिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है।