निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
(क) जीवन में सुख-दुख की खेल-मिचौनी क्यों जरूरी है?
(ख) कवि ने सुख-दुख की तुलना किससे की है?
(ग) सुख या दुख की अधिकता को कवि ने उत्पीड़न क्यों बताया है?
(घ) जीवन में सुख-दुख का संतुलन क्यों आवश्यक है?
(ङ) कवि ने मानव जीवन का उद्देश्य क्या बताया है?-
Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार है:
यह प्रश्न सुख दुख कविता से लिए गए है | यह कविता सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखी गई है |
(क) जीवन में सुख-दुख की खेल-मिचौनी क्यों जरूरी है?
जीवन में सुख-दुख की खेल-मिचौनी होना जरूरी है , इस से जीवन अपना वास्तविक मुख खोल देता है| सुख और दुःख जीवन में बहुत सिखाते है| सुख-दुख एक सिक्के के पहलू है | जीवन का असली मुख सुख -दुःख के मिलन में खुलता है|
(ख) कवि ने सुख-दुख की तुलना किससे की है?
कवि ने सुख-दुख की तुलना खेल-मिचौनी से की है| सुख-दुख एक सिक्के के पहलू है | जीवन का असली मुख सुख -दुःख के मिलन में खुलता है|
(ग) सुख या दुख की अधिकता को कवि ने उत्पीड़न क्यों बताया है?
सुख या दुख की अधिकता को कवि ने उत्पीड़न इसलिए बताया क्योंकि अधिक सुख हो जाने पर भी पीड़ा मिलती है और अधिक दुःख होने पर पीड़ा मिलती है|
(घ) जीवन में सुख-दुख का संतुलन क्यों आवश्यक है?
जीवन में सुख-दुख का संतुलन होना आवश्यक है , क्योंकि निरंतर दुःख और सुख पीड़ा देने वाले होते है| कई बार हमारा अधिक सुख दुःख में बदल जाता है और अधिक दुःख , सुख में बदल जाता है|
(ङ) कवि ने मानव जीवन का उद्देश्य क्या बताया है?-
कवि ने मानव जीवन का उद्देश्य सुख-दुख में हँसते रोते मानव जीवन आगे बढ़ता है।मानव जीवन में हँसी और रुलाई दोनों सदा रहते हैं। जैसे सबेरा होता है, शाम होती है, फिर सबेरा होता हैवैसे ही जीवन में सुख मिलते हैं,फिर दुख,फिर सुख।
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