Hindi, asked by kamalkumar160, 5 months ago

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 100-150 शब्दों में दीजिए।
(क)
अरुणा और चित्रा में से कौन यथार्थवादी है और कौन आदर्श
(ख) "जिजीविषा की विजय' पाठ में क्या संदेश है? विस्तारपूर्वक
on 2020-21 (हिंदी-301)​

Answers

Answered by ranurai58
11

Answer:

A

अरुणा

अरुणा कहानी की प्रमुख पात्रा है और चित्रा की घनिष्ठ मित्र है। वह होस्टल में रहकर पढ़ाई करती है, किन्तु उसका मन समाज-सेवा में ज्यादा लगता है। वह हर समय समाज-सेवा में व्यस्त रहती है। वह गरीब बच्चों को पढ़ाना अपना कर्त्तव्य समझती है। वह भावुक, संवेदनशील, दयालु, दूसरों के दुख को अपना दुख समझने वाली, दूसरों की समस्या व संकट में स्वयं को भुला देने वाली लड़की है। एक भिखारिन की मृत्यु होने पर उसके अनाथ बच्चों को अपनाकर अरुणा उन्हें अपनी ममता की छाया प्रदान करती है

चित्रा

चित्रा अरूणा की सखी है, जो उसके साथ हॉस्टल में एक ही कमरे में रहती है। चित्रा धनी पिता की एकमात्र संतान है। समाज के उपेक्षित वर्ग के कष्टों से नितांतअनभिज्ञ उसे कला से अति प्रेम है। वह महत्वाकांक्षी तथा कला जगत्‌ में यश प्राप्त करने की इच्छुक है। उसकी सह्रदयता और संवेदनशीलता मात्र चित्रों तक सीमित है। अपनी भावनाओं को चित्रों के द्वारा प्रस्तुत करने में वह कुशल है। समाज से प्रत्यक्ष रूप में न जुड़ पाने के कारण ही चित्रा का चरित्र अरूणा के सामने बौना लगता है

answer 2

जिजीविषा का अर्थ है-जीने की इच्छा। यह बड़ा अद्भुत शब्द है। इस शब्द का गहरा अर्थ यह है कि मनुष्य अपने जीवन को जितना प्यार करता है, अगर वह निष्ठापूर्वक अपनी प्रबल इच्छाशक्ति को जगाए रखे, जीवन के प्रति मोह पैदा करे, जीवन में रागात्मकता को जगाए रखे तभी उसका जीवन जीने योग्य बनता है। जीवन को प्यार सभी करते हैं, परंतु चाहना अलग बात है। चाहने से कुछ नहीं होता। प्रश्न है कि जिस जीवन को हम चाहते हैं, क्या उस पर हम भरोसा कर सकते हैं? यदि चाहत पक्की है, उसमें निष्ठा है तो हमारे जीवन में जीवन के प्रति राग पैदा हो सकता है, हम अपने जीवन को लालित्य बना सकते हैं। जीवन तो सबको मिलता है, परंतु जीवन जीने की कला सबके पास नहीं होती है। यही सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। धन कमाने, दौड़-धूप करने और दुनियादारी के चक्कर में हम धीरे-धीरे अपना बहुमूल्य जीवन गंवा देते हैं। धन के कारण चाटुकारों की भीड़ तो इकट्ठा हो सकती है, लेकिन उनमें प्रेम करने वाला शायद ही कोई हो, क्योंकि यात्रा हमने गलत दिशा में प्रारंभ कर दी। जिजीविषा का अर्थ है-सुखमय जीवन जीने की प्रबल इच्छा। यह संभव तभी है जब आपके मन में प्रेम का भाव हो, लोगों को अपना बनाकर चलने की कला हो। जीवन में राग और आकर्षण पैदा करके इसे सुखी बनाया जा सकता है। जीवन को अगर शुरू से प्यार करना सीख लिया जाए, जीवन को आनंदपूर्ण बनाने का मन बना लिया जाए तो हमें जीवन का ज्यादातर पक्ष आनंदमय ही दिखेगा। जीवन का काला पक्ष तो वह देखता है जो हारा हुआ और हताश होता है। जीवन को बंजर भूमि बनने से रोकें और जीवन की बगिया में सुंदर गुलाब का पौधा लगाएं। तभी उन फूलों से जीवन सुगंधित हो सकता है। शरीर रूपी कमरे में प्रेम रूपी प्रकाश को भरो, जीवन में अंधकार कोसों दूर रहेगा। बस, आवश्यकता है थोड़ा सा विचार करने की, जीवन को समझने की। सब कुछ अच्छा होगा।

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