Social Sciences, asked by Riasingh5540, 1 year ago

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।(i) कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपाय सुझाइए। (ii) भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव पर टिप्पणी लिखें। (iii) चावल की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन करें।

Answers

Answered by nikitasingh79
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उत्तर :  

(i) कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपाय :  

कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने प्रौद्योगिकीय तथा संस्थागत दोनों प्रकार के उपाय किए हैं । परिणाम स्वरुप कृषि उत्पादन में एकाएक वृद्धि हुई है । इसे हरित क्रांति का नाम दिया गया । इसी प्रकार पशु नस्ल सुधार तथा पौष्टिक चारा फसलों के उत्पादन से दुग्ध उत्पादन भी कई गुना बढ़ गया है। इसे श्वेत क्रांति अथवा ऑपरेशन फ्लड कहा जाता है। ये दोनों क्रांतियां लाने में सहायक तकनीकी तथा संस्थागत सुधारों का वर्णन इस प्रकार है‌:  

प्रौद्योगिकीय सुधार :  

१.रहट का स्थान जल पंप ने तथा हल का स्थान मशीन टिल्लर ने ले लिया है। इसी प्रकार अब हैरो ट्रैक्टर - चालित हो गई है।

२. अब अधिकतर सामान बैल गाड़ियों की बजाय ट्रकों द्वारा ढोया जाने लगा है। पक्की सड़क के बनने तथा परिवहन के तीव्र  साधनों के आरंभ से किसानों का बहुत अधिक लाभ पहुंचा है । अब वे अपना कृषि उत्पादन मंडी में ले जाने लगे हैं।

३.सिंचाई की नई विधियों का प्रचलन हुआ है। इनमें ड्रिप सिंचाई तथा छिड़काव सिंचाई प्रमुख है।

४.भूमि की उर्वरता को बढ़ाने के लिए उर्वरकों का प्रयोग बढ़ गया है । अब उर्वरकों के साथ साथ जैव खादों का प्रयोग भी किया जाने लगा है।

५.उत्तम किस्म के बीजों का विकास किया गया है। ये बीज अधिक उत्पादन देते हैं तथा इनसे प्राप्त फ़सल जल्दी तैयार होती है। इन सब पर प्रौद्योगिकी सुधारों ने 1960 - 1977 के बीच हरित क्रांति को जन्म दिया।

संस्थागत सुधार :  

इन सुधारों में केंद्र तथा राज्य सरकारों क८ सम्मिलित पहल है।इन संस्थागत सुधारों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है :  

१. ज़मीदारी प्रथा समाप्त कर दी गई है। फलस्वरूप कृषक भूमि के स्वामी बन गए हैं।

२.चकबंदी द्वारा दूर-दूर बिखरे खेतों को बड़ी जोतों में बदल दिया गया है।

३.सहकारिता आंदोलन को प्रोत्साहन दिया गया ताकि किसान मिलजुल कर अपनी ऋण एवं उपज की बिक्री संबंधी समस्याओं को स्वंय ही हल कर सके।

४.प्रत्येक जिले में मार्गदर्शक बैंक खोले गए । राष्ट्रीयकृत बैंक भी किसानों को अपेक्षाकृत आसान शर्तों पर ऋण देते हैं।

५.खड़ी फसलों का बीमा किया जाने लगा है। फलस्वरूप किसी प्राकृतिक आपदा अथवा फसल की बीमारी द्वारा फसल नष्ट होने की स्थिति में कृषकों को हानि नहीं उठानी पड़ती ।

इन सब सुधारों ने हरित क्रांति तथा श्वेत क्रांति को आगे बढ़ाया और इनके परिणामों को दृढ़ता प्रदान की ।

(ii) भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव :  

वैश्वीकरण का अर्थ है विश्व के देशों की एक दूसरे से जुड़ी अर्थव्यवस्था। इस अर्थव्यवस्था ने भारतीय कृषि के स्वरूप को ही बदल दिया है। भारतीय कृषि पर इसके प्रभावों का वर्णन इस प्रकार है :  

१.भारत के निर्वाह कृषि ने व्यापारिक कृषि का रूप धारण कर लिया है।  आज भारतीय किसान उसी फसल के उत्पादन पर बल देता है जिसे उसे अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके।

२.कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए नई तकनीकी का प्रयोग होने लगा है। नई तकनीकों द्वारा भारत में मिट्टी एवं जलवायु की अनुकूल दशाओं को पूरा-पूरा लाभ उठाया जा रहा है । परिणामस्वरूप आज किसान वर्ष में 2 से अधिक फसलें उगाने लगे हैं।

३.सुधरी बीजों के उपयोग से कृषि उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ गई है । अतः किसान को अपने उत्पादन का पहले से कहीं अधिक मूल्य प्राप्त होने लगा है।

४.वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप हमारे कृषि उत्पादों के विदेशी व्यापार में वृद्धि हुई है। अतः आज हम दूसरे देशों से पर्याप्त पूंजी अर्जित करने लगे हैं।

५.कृषि का बड़े पैमाने पर मशीनीकरण किया गया है जिससे प्रति हेक्टेयर उत्पादन में असाधारण वृद्धि हुई है।

(iii) चावल की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन :  

१.चावल के लिए डेल्टाई भूमि आदर्श मानी जाती है।

२.चावल उष्ण आद्र कटिबंध की उपज है। इसके लिए उचित तापमान की आवश्यकता होती है । इसके लिए तापमान 25°C  से अधिक होना चाहिए। काटते समय विशेष रूप से तापमान काफी ऊंचा होना चाहिए।

३.चावल की कृषि के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है । इसकी जडे पानी में डूबी देनी चाहिए । इसके लिए 100 सेंटीमीटर तक की वर्षा अच्छी मानी जाती है । इसकी सफलता मानसून पर निर्भर करती है । जिस भागों में वर्षा कम होती है वह कृत्रिम सिंचाई का सहारा लिया जाता है।

४.चावल की खेती के लिए सभी कार्य हाथों से करने पड़ते हैं। अतः इसकी कृषि के लिए अधिक तथा सस्ते मानव श्रम की आवश्यकता होती है । इस कारण इसकी कृषि प्राय: उन भागों में होती है जहां जनसंख्या अधिक और सस्ते मजदूर सरलता से मिल जाए।

आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।

Answered by 9910328835h
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Answer:

i hope my answer help of you

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