निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।
(i) संमवित इस्पात उद्योग मिनी इस्पात उद्योगों से कैसे भिन्न है? इस उद्योग की क्या समस्याएँ हैं? किन सुधारों के अंतर्गत इसको उत्पादन क्षमता बढ़ी है?
(ii) उद्योग पर्यावरण को कैसे प्रदूषित करते हैं?
(iii) उद्योगों द्वारा पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने के लिए उठाए गए विभिन्न उपायों की चर्चा करें?
Answers
उत्तर :
(i) संमवित इस्पात उद्योग तथा मिनी इस्पात उद्योगों में भिन्नता :
संकलित इस्पात उद्योग एक बड़ा संयंत्र होता है । इसमें कच्चे माल को एक स्थान पर एकत्रित करने से लेकर इस्पात बनाने, उसे ढालने और उसे आकार देने तक की सभी क्रियाएं की जाती है।
इसके विपरीत मिनी इस्पात उद्योग छोटे संयंत्र हैं। इन्हें विद्युत भट्टी, रद्दी इस्पात तथा स्पंज आयरन का प्रयोग होता है। इनमें रि रोलर्स होते हैं जिनमें इस्पात सिलि्लयों का प्रयोग किया जाता है। मिनी उद्योग हल्के स्टील या निश्चित अनुपात के मृदु
एवं मिश्रित इस्पात का उत्पादन करते हैं।
समस्याएँ :
भारत विश्व का एक महत्वपूर्ण लोहा इस्पात उत्पादक देश है। फिर भी हम निम्नलिखित समस्याओं के कारण इस्पात उद्योग का पूर्ण रूप से विकास नहीं कर पाए हैं ।
१.इसमें ऊंची लागत आती है।
२.श्रमिकों की उत्पादन क्षमता कम है।
३.इस उद्योग की अवसंरचना अविकसित है।
४.कोकिंग कोयला संगीत मात्रा में उपलब्ध है।
५.ऊर्जा की आपूर्ति पर्याप्त नहीं है।
उत्पादन क्षमता में वृद्धि :
समस्याओं के होते हुए भी निम्न तीन कारकों ने इस्पात उद्योग के उत्पादन में वृद्धि की है।
१.निजी क्षेत्र के उद्यमियों के प्रयास।
२.उदारीकरण की प्रक्रिया।
३.इस्पात उद्योग में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश।
(ii) उद्योग पर्यावरण को निम्न प्रकार से प्रदूषित करते हैं :
उद्योग के प्रकार के प्रदूषण फैलाते हैं वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण तथा तापीय प्रदूषण।
वायु प्रदूषण :
उद्योगों से निकलने वाला धुआं जल तथा वायु को पूरी तरह से प्रदूषित करता है। वायु प्रदूषण प्राय: वायुमंडल में कार्बन मोनोऑक्साइड तथा सल्फर डाइऑक्साइड जैसी गैसों में वृद्धि से होता है। वायु प्रदूषण में धूल, गंद देने वाले पदार्थ, धुआं, स्प्रे आदि ठोस तरल पदार्थ भी शामिल है। वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य, पशुओं, पौधों तथा पर्यावरण पर बुरा प्रभाव डालता है। यहां तक कि निर्जीव पर्दाथ भी वायु प्रदूषण से प्रभावित होते हैं।
जल प्रदूषण :
जल प्रदूषण का मुख्य कारक औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ हैं जिन्हें नदियों में बहा दिया जाता है।यह पर्दाथ जैविक तथा अजैविक दोनों प्रकार के होते हैं। इनमें से कोयला, रंग, साबुन ,कीटाणु नाशक, औषधि, उर्वरक, प्लासटिक तथा रबड़ मुख्य है। जल प्रदूषण के उत्तरदाई मुख्य उद्योग कागज की लुगदी , वस्त्र, रसायन, पेट्रोलियम शोधन, चमड़ा रंगने आदि से संबंधित है।
भूमि प्रदूषण :
कुछ उद्योगों से ऐसे अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकलते हैं जिनमें विषैली धातु के कण सम्मिलित होते हैं। यह कण मिट्टी को प्रदूषित करता है।
ध्वनि प्रदूषण :
ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण बढ़ता है वह अत्यधिक शोर है। इस शोर का मुख्य कारण कारखानों में चलने वाली मशीनें तथा तेज गति से दौड़ते वाहन है।आरा मशीनों तथा वायवीय बरमों से निकलने वाली ध्वनि लोगों के लिए असहनीय तथा कष्टदायक होती है। इससे मनुष्य की सुनने की शक्ति पर बुरा असर पड़ता है। यदि शोर इस गति से बढ़ता रहा तो संभव है कि मानव आने वाले कुछ दर्शकों तक बहरा हो जाए।
तापीय प्रदूषण:
कारखानों तथा ताप घरों से गर्म जल को प्राय: बिना ठंड किए ही नदियों तथा तालाबों में छोड़ दिया जाता है। इससे जल में तापी प्रदूषण होता है।
(iii) उद्योगों द्वारा पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने के लिए उठाए गए विभिन्न उपाय:
१.मशीनों को अच्छी प्रौद्योगिकी से बनाया जाए और उनका संचरण कुशलता पूर्वक किया जाए।
२.ऐसे ईंधनों का चुनाव किया जाए तो प्रदूषण न करें। उदाहरण के लिए कोयले के स्थान पर तेल का उपयोग करके धुएं को रोका जा सकता है।
३.आज स्प्रे के समय उत्सर्जित होने वाले पदार्थों को नियंत्रित करने वाले का यंत्र बन चुके हैं । इनमें फिल्टर, प्रेसिपिटेटर स्क्रबर आदि यंत्र शामिल है। इनके उपयोग से वायु प्रदूषण को रखा जा सकता है। औद्योगिक इकाइयों द्वारा छोड़े गए खराब एवं विषैले जल को संशोधित करके नेहरों तथा अन्य जलाशयों में डाला जाए। इससे जल प्रदूषण नियंत्रित हो सकता है।
मिट्टी एवं भूमि के प्रदूषण को निम्नलिखित तरीकों द्वारा रोका जा सकता है :
१.भिन्न-भिन्न स्थानों से निकले कूड़े कचरे को एक ही स्थान पर एकत्रित करके।
२.कूड़े कचरे को भूमि में बहुत गहरा दबाकर।
३.इसे पुनः चक्रण योग्य बना कर।
cgkfldoydhdouglflfkdoxlxuoflhfuofhdyidigckhfr9foufkhfoyfoufmfyfluc