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(v) सहसंबंध की गहनता पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
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(v) सहसंबंध की गहनता पर एक विस्तृत टिप्पणी :
जब सहसंबंध की दिशा ऋणात्मक तथा धनात्मक के विषय में संदर्भ आ जाता है तो स्वाभाविक तौर पर जानने के लिए जिज्ञासा जागृत होती है कि दोनों चरों में अनुरूपता तथा साहचर्य की गहनता की मात्रा कितनी है। इस साहचर्य की गहनता की मात्रा गणितीय दृष्टि से अधिकतम विस्तार 1 तक होती है। इस मात्रा में सहसंबंध के दिशा का पहलू जोड़ने पर इसका अधिकतम विस्तार - 1 से शून्य की ओर होते हुए +1 तक होता है। इसका मान किसी भी स्थिति में 1 से ज्यादा नहीं हो सकता।
दो भिन्न प्रकार के चरों के एक बंटन को द्विचरीय वितरण कहते हैं, यह दोनों चर उस अवस्था में आपस में सह संबंधित कहलाते हैं जब एक चर में परिवर्तन दूसरे चरण में संगती परिवर्तन उत्पन्न होता। प्रथम चर जिसके कारण दूसरे चर में परिवर्तन होता है स्वतंत्र (X) कहलाता है। जबकि दूसरा चर आश्रित चर (Y) के रूप में जाना जाता है। दो चरों के मध्य साहचर्य की मात्रा तथा दिशा का आकलन सरल अथवा द्विचर सह संबंध कहलाता है। सह संबंध की माप का सर्वाधिक प्रचलित स्वरूप पियर्सन का गुणन आघूर्ण सह संबंध गुणांक (r) है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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