निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए: (क) जयशंकर प्रसाद के जीवन के कौन से अनुभव उन्हें आत्मकथा लिखने से रोकते हैं? (ख) बादलों की गर्जना का आह्वान कवि क्यों करना चाहता है? ‘उत्साह’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए| (ग) ‘कन्यादान’ कविता में व्यक्त किन्हीं दो सामाजिक कुरीतियों का उल्लेख कीजिए| (घ) संगतकार की हिचकती आवाज उसकी विफलता क्यों नहीं है?
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#134##############
(क) जयशंकर प्रसाद के जीवन के कौन से अनुभव उन्हें आत्मकथा लिखने से रोकते हैं?
Ans. जयशंकर प्रसाद जी का जीवन अभावों से भरा था | उन्हें लगता था उनके जीवन कथा से किसी को प्रसन्नता नहीं होगी क्योंकि उनका जीवन अति साधारण है |
इसके साथ ही वे अपनी निजी भावनाओ को उजागर नहीं करना चाहते थे | इन कारणों से वे अपनी आत्मकथा नहीं लिखना चाहते थे |
(ख) बादलों की गर्जना का आह्वान कवि क्यों करना चाहता है? ‘उत्साह’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए|
Ans. कवि नवीन क्रांति का आव्हान करना चाहते थे | गर्जन एक प्रकार से विरोध और विद्रोह का प्रतीक है | इसलिये कवि बादलों को गर्जने के लिए कहते हैं |
(ग) ‘कन्यादान’ कविता में व्यक्त किन्हीं दो सामाजिक कुरीतियों का उल्लेख कीजिए|
Ans. कन्यादान कविता में दहेज प्रथा और घरेलू शोषण जैसी कुरीतियों को व्यक्त किया गया है |
आज हमारे समाज में दहेज प्रथा एक विकट रूप ले चुकी है | दहेज के खातिर कुछ विक्षिप्त मानसिकता वाले लोग नवविवाहित स्त्री पर कई तरह के शोषण करते हैं | कवि व्यंग करते हैं आग की भट्टी खाना पकाने के लिए है जलने के लिए नहीं |
कवि अपनी कविता के माध्यम से समाज की इन कुरीतियों को खत्म करना चाहते हैं |
(घ) संगतकार की हिचकती आवाज उसकी विफलता क्यों नहीं है?
Ans. संगतकार की हिचकती आवाज उसकी विफलता नहीं है क्योंकि वह मुख्य गायक का सहयोगी गायक होता है | वह स्वयं की आवाज को इसलिए दबा लेता है ताकि मुख्य गायक की आवाज ही मुख्य हो |
वह मुख्य गायक की गायकी में निरन्तरता बनाए रखने के लिए त्याग करता है | इसीलिए अधिकांश लोगों का ध्यान भी संगतकार की ओर नहीं जाता |
परंतु संगतकार स्वयं को आगे न बढ़ाकर दूसरों को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत होता है | अतः हम कह सकते हैं कि संगतकार की हिचकती आवाज उसकी विफलता नहीं है |
More Question:
राष्ट्रभाषा होने के लिए किसी भाषा में कुछ विशेषताएँ होना अनिवार्य होती
हैं। सर्वप्रथम गुण उस भाषा की व्यापकता है। जो भाषा देश के सर्वाधिक जनों और
सर्वाधिक क्षेत्र में बोली और समझी जाती हो वही राष्ट्रभाषा पद की अधिकारिणी होती
है। भाषा की समद्धता उसकी दूसरी विशेषता है, उस भाषा का शब्द समुदाय
ज्ञान-विज्ञान की सभी उपलब्धियों को व्यक्त करने की क्षमता रखता हो। धर्म, दर्शन,
विज्ञान, सामाजिक परिवर्तन, अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य आदि सभी कुछ उस भाषा द्वारा
जनसाधारण तक पहुंचाया जा सके। तीसरी विशेषता उसकी सरलता है। अन्य
भाषा-भाषी उसे बिना कठिनाई के सीख सकें। उस भाषा की लिपि भी सरल और
वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित हो तथा उस भाषा में निरन्तर विकसित होने की सामर्थ्य
हो।
उपर्युक्त विशेषताओं के परिप्रेक्ष्य में विचार करने पर समस्त भारतीय
भाषाओं में हिन्दी ही राष्ट्रभाषा की अधिकतम योग्यता रखती है। देश की
अधिसंख्यक जनता द्वारा वह बोली एवं समझी जाती है। ज्ञान विज्ञान के विविध
विषयों पर उसमें साहित्य निर्माण हुआ है और हो रहा है। तकनीकी और परिभाषिक
शब्दावली के लिए जहाँ उसे संस्कृत को समृद्ध शब्द-भण्डार प्राप्त है। वहीं उसकी
पाचन शक्ति भी उदार है। उसकी लिपि पूर्ण वैज्ञानिक है। इस प्रकार हिन्दी ने स्वयं
को राष्ट्र भाषा का उत्तरदायित्व संभालने के लिए गम्भीरता से तैयार किया है।
(1) प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(2) भारतीय भाषाओं में कौन-सी भाषा राष्ट्र भाषा होने की अधिकतम योग्यता रखती
है और क्यों?
3) किसी भाषा के राष्ट्र भाषा होने के लिए उसमें सबसे अधिक किस गुण का होना
आवश्यक है?
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