निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए
क)चांदनी रात की सुंदरता को कवि ने किन-किन रूपों में देखा है? ‘आत्मकथ्य’ कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।
ख(कवि को धूल से सने बच्चे के शरीर को देखकर कैसा लग रहा है? ‘ यह दंतुरित मुस्कान’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
ग)कवि की आंख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है? 'अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।
घ)कवि बादल से फुहार ,रिमझिम या बरसने के स्थान पर गरजने के लिए क्यों कहता है ?’उत्साह’ कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।
Answers
Answered by
17
क) चांदनी रात की सुंदरता को कवि ने निम्नलिखित रूपों में देखा है
१.पूर्णिमा की रात में आकाश संगमरमर पत्थर से बने हुए सुंदर मंदिर के समान लग रहा है।
२.आकाश में चारों ओर तारे बिखरे हुए हैं जो झिलमिल झिलमिल कर रहे हैं। आकाशरूपी मंदिर का सौंदर्य शीशे के समान पारदर्शी लग रहा है और उसमें चांदनी बिखेरता चांद प्यारी राधा के प्रतिबिंब के समान प्यारा लग रहा है।
ख) कवि को धूल से सने बच्चे के शरीर को देखकर ऐसा लगा कि धूल -धूसरित वह चेहरा किसी तालाब में खिले सुंदर कमल के फूल के समान है जो उस की झोपड़ी में आ गया है। कवि के कहने का मतलब यह है कि कवि को बच्चे का धूल से सना शरीर देखकर उनका मन कमल के समान खिल उठता है।
ग) कवि के अज्ञात सत्तारुपी प्रियतम प्रभु फागुन की सुंदरता के कण-कण में व्याप्त हैं। चारों ओर फागुन का सौंदर्य बिखरा हुआ है। इस समय डालियां कहीं लाल तो कहीं हरी हरी पत्तौं से लदी दिखाई देती है। उनके श्वास के द्वारा प्रकृति का कोना-कोना सुगंध से आपूरित था। वही कवि के मन में तरह-तरह की कल्पनाएं भरते थे ।उन्हें विशेष आकर्षण था जिससे कवि अपने आंख नहीं हटाना चाहता। उसकी दृष्टि हट ही नहीं रही है।
घ) निराला विद्रोही कवि थे। वे समाज में क्रांति के माध्यम से परिवर्तन लाना चाहते थे। वे क्रांति चेतना का आह्वान करने में विश्वास रखते थे, जो ओज और जोश पर निर्भर करती है। ओज और जोश के लिए ही कवि बादलों को गरजने के लिए कहता है।
१.पूर्णिमा की रात में आकाश संगमरमर पत्थर से बने हुए सुंदर मंदिर के समान लग रहा है।
२.आकाश में चारों ओर तारे बिखरे हुए हैं जो झिलमिल झिलमिल कर रहे हैं। आकाशरूपी मंदिर का सौंदर्य शीशे के समान पारदर्शी लग रहा है और उसमें चांदनी बिखेरता चांद प्यारी राधा के प्रतिबिंब के समान प्यारा लग रहा है।
ख) कवि को धूल से सने बच्चे के शरीर को देखकर ऐसा लगा कि धूल -धूसरित वह चेहरा किसी तालाब में खिले सुंदर कमल के फूल के समान है जो उस की झोपड़ी में आ गया है। कवि के कहने का मतलब यह है कि कवि को बच्चे का धूल से सना शरीर देखकर उनका मन कमल के समान खिल उठता है।
ग) कवि के अज्ञात सत्तारुपी प्रियतम प्रभु फागुन की सुंदरता के कण-कण में व्याप्त हैं। चारों ओर फागुन का सौंदर्य बिखरा हुआ है। इस समय डालियां कहीं लाल तो कहीं हरी हरी पत्तौं से लदी दिखाई देती है। उनके श्वास के द्वारा प्रकृति का कोना-कोना सुगंध से आपूरित था। वही कवि के मन में तरह-तरह की कल्पनाएं भरते थे ।उन्हें विशेष आकर्षण था जिससे कवि अपने आंख नहीं हटाना चाहता। उसकी दृष्टि हट ही नहीं रही है।
घ) निराला विद्रोही कवि थे। वे समाज में क्रांति के माध्यम से परिवर्तन लाना चाहते थे। वे क्रांति चेतना का आह्वान करने में विश्वास रखते थे, जो ओज और जोश पर निर्भर करती है। ओज और जोश के लिए ही कवि बादलों को गरजने के लिए कहता है।
Similar questions