Hindi, asked by Yashgupta9647, 11 months ago

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए- क) मन्नू भण्डारी के पिता की कौन-कौन विशेषताएँ अनुकरणीय हैं? ख) परंपराएँ विकास के मार्ग में अवरोधक हों तो उन्हें तोड़ना ही चाहिए, कैसे? 'स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंड़न पाठ के आधार पर लिखिए। ग) 'प्राकृत केवल अपढ़ों की नहीं अपितु सुशिक्षितों की भी भाषा थी' - महावीर प्रसाद द्वेदी ने यह क्यों कहा है? घ) रात के तारों को देखकर न सो सकने वाली मनीषी को प्रथम पुरस्कर्ता क्यों कहा गया है? 'संस्कृति' के आधार पर उत्तर दीजिए।

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Answered by chandrashekharrai
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Answer:

sorry I can't help you

Answered by bhatiamona
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार है:

क) मन्नू भण्डारी के पिता की कौन-कौन विशेषताएँ अनुकरणीय हैं?

उतर :   मन्नू भंडारी के पिता की निम्नलिखित विशेषताएं अनुकरणीय हैं-

• मन्नू भंडारी के पिता स्त्री शिक्षा के समर्थक थे।

 • वह  अपनी पुत्री को रसोई में नहीं बल्कि शिक्षा ग्रहण कर एक सशक्त एवं शिक्षित महिला बनने के लिए प्रेरित करते थे|

 • वह  लड़कियों को लड़कों के परस्पर अधिकार देते थे।  वह उन में कोई भेद-भाव नहीं रखते थे|

• राजनीति में वह  महिलाओं की भागीदारी के पक्ष में  थे।

 • वह  लड़कियों को लड़कों के परस्पर अधिकार देते थे।

• वे महत्वकांक्षी व्यक्ति थे और यश व प्रतिष्ठा से उन्हें बहुत लगाव था|

ख) परंपराएँ विकास के मार्ग में अवरोधक हों तो उन्हें तोड़ना ही चाहिए, कैसे? 'स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंड़न पाठ के आधार पर लिखिए।

उतर :  पुराने समय की परंपराएँ विकास के मार्ग में अवरोधक है जो आज तक चली आ रही है| यह परम्पराएँ आज के समय में हमारी प्रगति की रुकावट का  कारण बन रही है|

परंपरा का स्वरूप पहले से काफी बदल गया है। पहले समाज में स्त्री-पुरुष के बीच अंतर किया जाता था जो आज लगभग समाप्त हो गया है। समाज की उन्नति के लिए दोनों का सहयोग जरूरी है। स्त्रियों के महत्व को कम समझना गलता है ऐसा सोच रखने वालों को खुद को बदलना चाहिए। अत: स्त्री पुरुष की असमानता की परंपरा को भी बदलना जरूरी है। अतः ऐसी परंपराएं जो समाज एवं राष्ट्र के विकास में बाधक हों एवं जो समाज में विषमता एवं भेदभाव को बढ़ावा देती हों उन्हें खत्म करना  ही बेहतर है|

ग) 'प्राकृत केवल अपढ़ों की नहीं अपितु सुशिक्षितों की भी भाषा थी' - महावीर प्रसाद द्वेदी ने यह क्यों कहा है?

उतर : बौद्धों और जैनों के हजारों ग्रंथ प्राकृत और भगवान शाक्य मुनि तथा उनके चेले प्राकृत में धर्मोपदेश दिया करते थे। साथ ही बौद्धों के त्रिपिटक ग्रंथ की रचना भी प्राकृत भाषा में की गयी थी इस सबके पीछे कारण यह था कि वर्तमान में हिंदी की तरह उस दौर में सर्वसाधारण की भाषा प्राकृत थी| उस दौर में सर्वसाधारण को प्राकृत भाषा की समझ थी इसी कारण साहित्य लेखन, धर्मोपदेश आदि इसी भाषा में दिए जाते थे क्योंकि जिस भाषा को समाज का बड़ा वर्ग समझता और जानता है उस भाषा को उस दौर में प्राथमिकता मिलती है| इसी कारण से उस दौर में सुशिक्षितों के बीच में भी प्राकृत भाषा प्रचलित थे और वे भी उसका गहन अध्ययन, लेखन किया करते थे| संक्षेप में कहें तो प्राकृत उस दौर में केवल अपढ़ों की नहीं अपितु सुशिक्षितों की भी भाषा थी|

घ) रात के तारों को देखकर न सो सकने वाली मनीषी को प्रथम पुरस्कर्ता क्यों कहा गया है? 'संस्कृति' के आधार पर उत्तर दीजिए।

उतर : जिज्ञासा मनुष्य को नए सिद्धांतों, प्रकृति में होने वाली क्रियाओं के पीछे के कारणों आदि के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करती है| जिज्ञासु व्यक्ति के मन में हमेशा उन क्रियाओं के पीछे के कारणों को जानने की उत्सुकता होती है| ऐसे ही कुछ व्यक्तियों जैसे-न्यूटन, आइन्स्टीन आदि ने प्रकृति के उन अनसुलझे जटिल रहस्यों को सुलझाया और मानव सभ्यता को एक नई दिशा दी है| इसी कारण से तारों को देखकर न सो सकने वाले व्यक्ति अर्थात जिज्ञासु व्यक्ति को कवि ने प्रथम पुरस्कर्ता कहा है| और इसी कारण से वह हमेशा उनके बारे में जानने के लिए उत्सुक होता है और इस स्थिति रातों को सोता नहीं भी नहीं है|

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