निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- 1. प्राचीन काल में आदिमानव का शारीरिक स्वरूप कैसा था? 2. प्राकृतिक असंतुलन का मुख्य कारण क्या है? 3. प्राकृतिक शोभा कैसे प्राप्त होती है? 4. वृक्ष हमें क्या देते हैं? 5. भोजन-श्रृंखला को चित्र द्वारा समझाइए। लखित
Answers
Answer:
वे चौपाया थे अर्थात् चारों पैरों के बल चलते थे। उनके शरीर का अग्रभाग व अगले दोनों पैर लचकदार होते थे। होमिनिड सीधे खड़े होकर दोनों पैरों पर चलते थे। होमिनिड के हाथों की बनावट विशेष प्रकार की थी जिससे वे हथियार (औज़ार) बना व प्रयोग कर सकते थे।
पारिस्थितिक असंतुलन का सबसे मुख्य कारण मानवीय क्रियाकलाप हैं जिसके कारण विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु एवं पौधे विलुप्त हो रहे हैं। मनुष्यों द्वारा अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये प्राकृतिक संसाधनों का अतिशय दोहन किया जा रहा है जिससे जीव-जंतुओं एवं पौधों के आवासों का ह्रास एवं विखंडन हो रहा है।
प्रकृति ही कवि को कल्पना की ऊंची उड़ान भरने के लिए प्रेरित करती है और उसकी रचनाओं में सर्वत्र दिखाई देती है। प्रकृति की व्यापकता ही मन में तरह-तरह की कल्पनाओं को जन्म देती है। वन का प्रत्येक पेड-पौधा इसी सुंदरता से भर कर शोभा देता है। प्रकृति की व्यापकता नैसर्गिक सौंदर्य की मूल आधार है।
आक्सीजन देकर हमें जीवन देते हैं पेड़-पौधे ... कारण कि बिना आक्सीजन के हम जीवित रह ही नहीं सकते और पेड़-पौधे यही जीवनदायिनी आक्सीजन छोड़ते हैं। वे हमारे द्वारा छोड़ी गई विषैली गैस कार्बन-डाइ-आक्साइड को ग्रहण करते हैं। कुछ पौधे ऐसे भी होते हैं जो रात में भी आक्सीजन छोड़ते हैं।
Sorry last answer i don't know
Explanation:
1.आदि मानव के पास हमारे जैसे वस्त्र नहीं थे ! वे ठंड-बरसात आदि से बचने के लिए वृक्षों की छाल, पत्तों तथा जानवरों की खाल से अपना शरीर ढँकते थे ! इनकें साथ-साथ लकड़ी, सीप, पत्थर, सींग, हाथी दाँत और हड्डी के बने आभूषणों का भी प्रयोग करते थे ! ये पक्षियों के पंखों से भी आभूषण बनाते थे !
2.मनुष्यों द्वारा अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये प्राकृतिक संसाधनों का अतिशय दोहन किया जा रहा है जिससे जीव-जंतुओं एवं पौधों के आवासों का ह्रास एवं विखंडन हो रहा है। मानव द्वारा अति दोहन से पिछले 500 वर्षों में बहुत-सी जातियाँ विलुप्त हो गई हैं।
3.प्रकृति ही कवि को कल्पना की ऊंची उड़ान भरने के लिए प्रेरित करती है और उसकी रचनाओं में सर्वत्र दिखाई देती है। प्रकृति की व्यापकता ही मन में तरह-तरह की कल्पनाओं को जन्म देती है। वन का प्रत्येक पेड-पौधा इसी सुंदरता से भर कर शोभा देता है। प्रकृति की व्यापकता नैसर्गिक सौंदर्य की मूल आधार है।
4.आक्सीजन देकर हमें जीवन देते हैं पेड़-पौधे ... कारण कि बिना आक्सीजन के हम जीवित रह ही नहीं सकते और पेड़-पौधे यही जीवनदायिनी आक्सीजन छोड़ते हैं। वे हमारे द्वारा छोड़ी गई विषैली गैस कार्बन-डाइ-आक्साइड को ग्रहण करते हैं। कुछ पौधे ऐसे भी होते हैं जो रात में भी आक्सीजन छोड़ते हैं।