निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
'ऐकै अषिर पीव का, पढ़ै सु पंडित होई' −इस पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?
nimnalikhit prashn kaa uttar deejie −
'aikai aṣir peev kaa, paḍhxai su pnḍait hoii' −is pnkti dvaaraa kavi kyaa kahanaa chaahataa hai?
साखी
Answers
Answered by
7
The Answer is attched in the give pic :
Hope it helps you .....
Attachments:
Answered by
2
Answer:
इन पंक्तियों द्वारा कवि ने ईश्वर के प्रति प्रेम की महत्व को बताया है। ईश्वर को पाने के लिए एक अक्षर प्रेम का अर्थात ईश्वर को पढ़ लेना ही पर्याप्त नहीं है। बड़े-बड़े पोथे या ग्रन्थ पढ़ कर भी हर कोई पंडित नहीं बन जाता। बड़े-बड़े पोथे और ग्रन्थ को पढ़ने से हमें ईश्वर नहीं मिलते है |
ईश्वर को प्राप्त करने के लिए हमें गुरुओं के दिखाए हुए रास्तों पर चलना पड़ता है , नाम की कमाई करनी पड़ती है | ईश्वर को पाने के लिए सांसारिक लोभ माया को छोड़ना पड़ता है। ईश्वर का नाम स्मरण करने से ही सच्चा ज्ञानी बना जा सकता है।
Similar questions