निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। क) ‘बड़े भाई साहब’ पाठ के आधार पर बड़े भाई के स्वभाव की दो विशेषताएं लिखिए। ख) तताँरा को निकोबारी लोग उसके किन गुणों के कारण बेहद प्यार करते थे? ग) ‘डायरी का पन्ना’ में किस प्रमुख घटना का उल्लेख है?
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार है :
(क) ‘बड़े भाई साहब’ पाठ के आधार पर बड़े भाई के स्वभाव की दो विशेषताएं लिखिए।
‘बड़े भाई साहब’ मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी है। इस कहानी में बड़े भाई साहब हमेशा अपने छोटे भाई का भला चाहते थे। वे निरंतर अपने छोटे भाई को पढ़ने के लिए प्रेरित करते रहते थे। हालांकि वे स्वयं पढ़ने में बहुत अच्छे नहीं थे, लेकिन वह अपने आपको छोटे भाई के सामने एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करते रहते थे और इसके लिए उन्होंने बहुत त्याग भी किया था ताकि वह अपने भाई के लिए एक आदर्श बन सके और उनका छोटा भाई उनसे प्रेरणा लेते हुए उनकी तरह बनने की कोशिश करे। बड़े भाई साहब स्वभाव के बड़े गंभीर थे और हर समय किताबें पढ़ते रहते थे। वे एक जिम्मेदार भाई होने का कर्तव्य बखूबी निभाते थे। मवे अपने छोटे भाई को किसी भी गलत मार्ग पर चलने से रोकते और उसे अच्छा आदमी बनने की सीख देते रहते थे। वे पूरी जिम्मेदारी से अपने छोटे भाई का ख्याल रखते थे।
(ख)तताँरा को निकोबारी लोग उसके किन गुणों के कारण बेहद प्यार करते थे?
‘तताँरा-वामीरो की कथा’ तताँरा एक नेकदिल और ईमानदार व्यक्ति था। वो सदैव दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहता था। वह अपने ना केवल अपने गांव बल्कि पूरे निकोबार द्वीप के लोगों की सेवा करता था। वो पारंपरिक पोशाक पहनता था और उसकी कमर में सदा एक लकड़ी की तलवार लटकी रहती थी। वह इस तलवार का उपयोग कभी भी नहीं करता था। निकोबार द्वीप के एक लोगों का मानना था कि उसकी तलवार में कोई जादुई शक्ति है। तताँरा की कोमल, दयालु और मधुर स्वभाव के कारण निकोबारी लोग उसे बेहद चाहते थे।
(ग) ‘डायरी का पन्ना’ में किस प्रमुख घटना का उल्लेख है?
‘डायरी का एक पन्ना’ इस पाठ में लेखक ने 1930-31 के दौरान कोलकाता में स्वतंत्र संग्राम से संबंधित हुई राजनीतिक गतिविधियों का चित्रण किया है। जब नेताजी सुभाष बाबू के नेतृत्व में कोलकाता में एक जुलूस का आयोजन किया गया और भारत का स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। जुलूस के आयोजन में कोलकाता के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। पूरे कोलकाता में सब लोगों ने अपने घरों में तिरंगा लगाया था। जुलूस के आयोजन से पहले यह माना जाता था कि कोलकाता के लोग स्वतंत्रता की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा नहीं लेते, लेकिन इस जुलूस के विशाल आयोजन के बाद यह भ्रम टूट गया। इस पाठ में कोलकाता के उसी स्वतंत्रता दिवस के बारे और उसके आयोजन को लेकर हुए संघर्ष के बारे में बताया गया है।
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