निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
(क) पहले पद में भगवान और भक्त की जिन-जिन चीज़ों से तुलना की गई है, उनका उल्लेख कीजिए।
(ख) पहले पद की प्रत्येक पंक्ति के अंत में तुकांत शब्दों के प्रयोग से नाद-सौंदर्य आ गया है, जैसे- पानी, समानी आदि। इस पद में से अन्य तुकांत शब्द छाँटकर लिखिए।
(ग) पहले पद में कुछ शब्द अर्थ की दृष्टि से परस्पर संबद्ध हैं। ऐसे शब्दों को छाँटकर लिखिए −
उदाहरण : दीपक - बाती
................ ................
................ ................
................ ................
................ ................
(घ) दूसरे पद में कवि ने 'गरीब निवाजु' किसे कहा है? स्पष्ट कीजिए।
(ङ) दूसरे पद की 'जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै' इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
(च) 'रैदास' ने अपने स्वामी को किन-किन नामों से पुकारा है?
(छ) निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए −
मोरा, चंद, बाती, जोति, बरै, राती, छत्रु, धरै, छोति, तुहीं, गुसइआ
Answers
उत्तर :
(क) पहले पद में भगवान की तुलना चंदन घने बादल ,चंद्रमा, दीपक ,मोती, सुहाग, स्वामी और भक्त की तुलना पानी , मोर , चकोर, बाती , धागा, सोना, दास से की गई है।
(ख) पहले पद के अन्य तुकांत शब्द निम्नलिखित हैं -
मोरा - चकोरा , बाती - राती , धागा - सुहागा , दासा - रैदासा ।
(ग) चंदन → पानी
स्वामी→ दास
सोना → सुहागा
मोती → धागा
चंद → चकोरा
घनबन → मोरा
(घ) दूसरे पद में कवि ने ‘गरीब निवाजू’ अपने आराध्य परमात्मा (ईश्वर) को कहा है क्योंकि वह हमेशा गरीबों तथा दीन-दुखियों पर दया करते हैं।
(ड़) इस पंक्ति के माध्यम से कवि यह बताना चाहते हैं कि जिन लोगों को संसार के लोग अछूत समझते हैं, ऐसे लोगों पर ईश्वर दया करके उनकी हमेशा मदद करते हैं। ईश्वर कोई भेदभाव नहीं करते। वे सब पर एक समान रूप से दया करते हैं।
(च) रैदास ने अपने स्वामी को गरीब निवाजू , स्वामी, गोसाई, गोबिंद , हरि कहकर पुकारा है।
(छ) मोरा → मोर
चंद्र → चंद्रमा, चांद
बाती → स्त्री
जोति → ज्योत
राती → रात , रात्रि
छत्रु → छत्र
धरै → धरना
छोति → छूत
तुहीं → तुम ही, आप ही
गुसईआ → गोसाई , स्वामी
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
Answer:
woah idk the answer and hope i get it