निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) राजा बनने पर रँगे सियार के सामने क्या समस्या आई?
(ख) सियार को हमेशा क्या डर लगा रहता था?
(ग) भेड़िये ने स्वयं राजा क्यों नहीं बनना चाहा?
(घ) राजा की आज्ञा के नाम पर भेड़िये ने क्या किया?
(ङ) सियार प्रजा को क्या बता देना चाहता था?
(च) शेर ने भेड़िये को क्यों मारा?
(छ) राजा की बीमारी कैसे ठीक हुई?
Answers
सुधी ब्लॉगर साथियों, आज मैं आप सबके समक्ष हिन्दी जगत के सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार `श्री हरिशंकर परसाई जी ' की रचना प्रस्तुत कर रही हूँ | प्रतीकात्मक शैली में लिखा गया यह एक ऐसा तीखा व्यंग्य है जो कि प्रजातंत्र के नाम पर स्वार्थी, ढोंगी और चालाक राजनेता सीधे-सादे लोगों का शोषण करते हैं| इसके लिए वे कवियों-लेखकों जैसे बुद्धिजीवियों का सहारा लेते हैं शायद आप सबको भी `परसाई जी' का यह व्यंग्य पसंद आये और कुछ सोचने को विवश करे अपने देश के राजनेताओं के बारे में भी
एक बार एक वन के पशुओं को ऐसा लगा कि वे सभ्यता के उस स्तर पर पहुँच गए हैं, जहाँ उन्हें एक अच्छी शासन-व्यवस्था अपनानी चाहिए | और,एक मत से यह तय हो गया कि वन-प्रदेश में प्रजातंत्र की स्थापना हो | पशु-समाज में इस `क्रांतिकारी' परिवर्तन से हर्ष की लहर दौड़ गयी कि सुख-समृद्धि और सुरक्षा का स्वर्ण-युग अब आया और वह आया |
Explanation:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) राजा बनने पर रँगे सियार के सामने क्या समस्या आई?
(ख) सियार को हमेशा क्या डर लगा रहता था?
(ग) भेड़िये ने स्वयं राजा क्यों नहीं बनना चाहा?
(घ) राजा की आज्ञा के नाम पर भेड़िये ने क्या किया?
(ङ) सियार प्रजा को क्या बता देना चाहता था?
(च) शेर ने भेड़िये को क्यों मारा?
(छ) राजा की बीमारी कैसे ठीक हुई?