निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दीजिए-
(क) हम अपने अतीत को किस प्रकार जान सकते हैं? अतीत का अध्ययन करने के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
(ख) इतिहास के अध्ययन के क्या उद्देश्य हैं?
(ग) इतिहास के साहित्यिक स्रोत क्या हैं? भारतीय इतिहास के अध्ययन हेतु प्रमुख साहित्यिक स्रोतों का वर्णन कीजिए।
(घ) आपके अनुसार, प्राचीन समय में शासक अपनी विजयों को चट्टानों और स्तम्भों जैसी कठोर सतहों पर क्यों लिखते थे?
Answers
ANS.1.पाण्डुलिपियों, अभिलेखों तथा पुरातत्त्व से ज्ञात जानकारियों के लिए इतिहासकार प्रायः स्रोत शब्द का प्रयोग करते हैं। इतिहासकार उन्हें कहते हैं जो अतीत का अध्ययन करते हैं। स्रोत के प्राप्त होते ही अतीत के बारे में पढ़ना बहुत रोचक हो जाता है, क्योंकि इन स्रोतों की सहायता से हम धीरे-धीरे अतीत का पुनर्निर्माण करते जाते हैं।
ANS.2.इतिहास के अध्ययन का उद्देश्य यह मनुष्यों का अतीत है, विशेष रूप से मानवता के लिए पारलौकिक तथ्य, प्रागैतिहासिक और ऐतिहासिक काल सहित, लेखन की उपस्थिति के बाद. वैज्ञानिक तरीकों के माध्यम से, इतिहास सभी मनुष्यों के अतीत और इन प्रक्रियाओं से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं का विश्लेषण करता है.
ANS.3.हिन्दू धर्म में अनेक ग्रन्थ, पुस्तकें तथा महाकाव्य इत्यादि की रचना की गयी हैं, इनमे प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार से है – वेद, वेदांग, उपनिषद, स्मृतियाँ, पुराण, रामायण एवं महाभारत। इनमे ऋग्वेद सबसे प्राचीन है। इन धार्मिक ग्रंथों से प्राचीन भारत की राजव्यवस्था, धर्म, संस्कृति तथा सामाजिक व्यवस्था की विस्तृत जानकारी मिलती है।
ANS.4.अभिलेखागार सार्वजनिक अथवा वैयक्तिक, राजकीय अथवा अन्य संस्था संबंधी अभिलेखों, मानचित्रों, पुस्तकों आदि का व्यवस्थित निकाय और उसका संरक्षागार। ... इस प्रकार के महत्व के अभिलेख प्राचीन काल में खोज में अभिरुचि रखनेवाले अनेक पुराविद सम्राटों द्वारा एकत्र कर उनके अभिलेखागारों में सदियों, सहस्राब्दियों संरक्षित रहे हैं।