निम्नलिखित प्रश्न के उतर निद्शानुसार लिखिए क) श्रृंगर रस के भेर्दों के नाम लिखिए। ख) करूण रस का मूल स्थायी भाव लिखिए। ग) अदभुत रस का अनुभाव लिखिए। घ) हास्य रस से संबधित काव्य पंक्तिया लिखिए।
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क) नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस की अवस्था को पहुँचकर आस्वादन के योग्य हो जाता है तो वह श्रृंगार रस कहलाता है।
श्रृंगार रस के भेद- संयोग श्रृंगार रस , वियोग श्रृंगार रस
ख) करुण रस का स्थाई भाव शोक है।
ग) अद्भुत रस का अनुभाव - रोमांच , आंखें फाड़कर कर देखना, कांपना, गदगद होना।।
घ) हास्य रस
विंध्य के वासी उदासी तपो व्रतधारि महाबिनु नारि दुखारे।
गौतम तीय तरी तुलसी सो कथा सुनि भे मुनिवृंद सुखारे।।
हैं सिला जब चंद्रमुखी परसे पद मंजुल कंज तिहारे।
कीन्ही रघुनायक जू करुणा करि कानन को पगु धारे।।
श्रृंगार रस के भेद- संयोग श्रृंगार रस , वियोग श्रृंगार रस
ख) करुण रस का स्थाई भाव शोक है।
ग) अद्भुत रस का अनुभाव - रोमांच , आंखें फाड़कर कर देखना, कांपना, गदगद होना।।
घ) हास्य रस
विंध्य के वासी उदासी तपो व्रतधारि महाबिनु नारि दुखारे।
गौतम तीय तरी तुलसी सो कथा सुनि भे मुनिवृंद सुखारे।।
हैं सिला जब चंद्रमुखी परसे पद मंजुल कंज तिहारे।
कीन्ही रघुनायक जू करुणा करि कानन को पगु धारे।।
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