Hindi, asked by sweeeeet, 4 months ago

निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही चार के उत्तर दीजिये:

1. कवयित्री ललद्यद किसे साहब मानती है? वह साहब को पहचानने का क्या उपाय बताती है?

2. 'हिंदू मूआ राम कहि, मुसलमान खुदाई' कहकर कबीर ने उपासना पद्धति पर किस प्रकार व्यंग्य किया है?

3. कैदी और कोकिला कविता में कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही है?

4.कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कौन-सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली है?

5.रसखान ब्रजभूमि और कृष्ण से जुड़ी वस्तुओं से बहुत प्यार करते हैं, स्पष्ट कीजिए।​

Answers

Answered by prince1chaudhary
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Answer:

answer no.1

Explanation:

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कवित्री ललित ईश्वर को अपना सहाब मानती है

किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कर्मों से होती है ना कि ऊंचे कुल से यही एक पहचानने का तरीका है आज तक हजारों राजा पैदा हुए हैं और मर गए हैं परंतु लोग जिन्हें जानते हैं वह हैं राम कृष्ण बुद्ध महावीर आदि इन्हें इसलिए जाना गया क्योंकि यह केवल पुल से ऊंचे नहीं थे बल्कि उन्होंने ऊंचे कर्म भी किए थे इनके विपरीत कबीर सूर तुलसी बहुत सामान ना करो उसे थे इन बचपन में ठोकरे भी खानी पड़ी परंतु फिर भी वे अपने श्रेष्ठ कर्म के आधार पर संसार भर में प्रसिद्ध हो गए हैं और इनके कर्मों से हम इन्हें पहचानते हैं इन्होंने बहुत से महान कार्य किए थे

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Answered by bhupendersinghranara
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1. कवयित्री परमात्मा को साहब मानती है, जो भवसागर से पार करने में समर्थ हैं। वह साहब को पहचानने का यह उपाय बताती है कि मनुष्य को आत्मज्ञानी होना चाहिए। वह अपने विषय में जानकर ही साहब को पहचान सकता है।

2. कबीर यह समझाना चाहते हैं कि हमें धर्म के नाम पर भगवान को बाँटना नहीं चाहिए। भगवान एक हैं केवल रुप भिन्न हैं। मित्र हिंदू और मुसलमानों की कट्टरता इसमें प्रकट होती है कि ये दोनों अपने-अपने भगवान को प्रमुख मानते हैं तथा उनकी आराधना करते हैं। दूसरे धर्म के ईश्वर को वे नहीं मानते।

3. कवि की कोयल से ईर्ष्या का मुख्य कारण उसकी स्वच्छंदता से है। वह आकाश में स्वतंत्रता से उड़ान भर रही है और कवि जेल की काल कोठरी में बंद है। कोयल गाकर अपने आनंद को प्रकट कर सकती है पर कवि के लिए तो रोना भी एक बड़ा गुनाह है जिसके लिए उसे दंड भी मिल सकता है।

4. कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कुछ मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं। कोयल हरी डाली पर बैठकर अपनी मधुर वैभवशाली आवाज़ से संपूर्ण सृष्टि को अलंकृत करती है, उसके मधुर गीतों से उसकी खुशी झलकती है, वह स्वतंत्रता पूर्वक अपना गीत गाती है परन्तु अब वह अपनी इन विशेषताओं को नष्ट करने पर तुली है। वह बावली-सी प्रतीत हो रही है।

5. ब्रजभूमि के प्रति कवि के मन में बहुत ही अधिक प्रेम है। उसे उन्होंने कविता में निम्न रूपों में अभिव्यक्त किया है:

रसखान अगले जन्म में ब्रज के ग्वाले बन कर गाय चराते हुए अपना जीवन बिताने की बात कहते हैं।

• उन्हें पशु-पक्षी, यहाँ तक कि पत्थर के रूप में भी ब्रज में रहना स्वीकार है।

• कवि चाहते हैं कि अगर उन्हें पशु का जन्म मिले, तो वे कान्हा की गायों के बीच रहकर ब्रज में घूमेंगे।

• अगर वे पक्षी रूप में जन्म लेते हैं, तो वे कदम्ब के पेड़ पर बैठकर श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का आनंद लेंगे।

• अगर उन्हें अगले जन्म में पत्थर बनना पड़े, तो वो गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनना चाहते हैं, जिसे साक्षात् श्रीकृष्ण ने अपनी उंगली पर उठाया था।

इस प्रकार कवि हर रूप में, सभी तरह से ब्रज में ही रहना चाहते हैं।

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