निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन के उत्तर दीजिए I
(क) 'बड़े भाई साहब' नामक कहानी हमें क्या शिक्षा देती है ?
(ख) मोन्यूमेंट पर झंडा फहराने में महिलाओं की भूमिका का उल्लेख करें I
(ग) 'जो जितना बड़ा होता है उसे उतना ही गुस्सा कम आता है I' 'अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले' पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए I
(घ) लेखक के मित्र ने मानसिक रोगों के क्या - क्या कारण बताए ? आपने विचार स्पष्ट कीजिए I
Answers
(क)
बड़े भाई साहब कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि केवल क्या किताबी ज्ञान महत्वपूर्ण नहीं होता बल्कि जीवन का व्यवहारिक ज्ञान भी उतना ही महत्वपूर्ण है जीवन के अनुभवों से सीख कर हम जो ज्ञान हासिल करते हैं वही हमारे जीवन में वास्तव में काम आता है बड़े भाई साहब कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमारे जो भी बड़े होते हैं वह हमारा भला ही चाहते हैं भले ही वह हमको डांटते बात करते हो लेकिन उस डांट फटकार में भी उनका उद्देश्य हमारा ही होता है इसलिए हमें उनकी बातों का बुरा ना मान कर उनके कहे अनुसार कार्य करना चाहिए
(ख)
मॉन्यूमेंट पर झंडा फहराने में स्त्रियों की विशेष भूमिका रही। स्त्रियों ने पुरुषों के साथ कदम-ताल मिलाकर सुभाष बाबू के जुलूस में साथ दिया। वह अलग-अलग टोलियां बनाकर उसमें चल रही थीं। जुलूस में पुलिस का भारी बंदोबस्त था और पुलिस ने स्त्रियों के ऊपर लाठीचार्ज भी किया उसके बावजूद भी स्त्रियां अपने निश्चय से टस से मस ना हुई और उन्होंने निडर होकर मॉन्यूमेंट पर झंडा फहराया। उन्होंने पुलिस में अपनी गिरफ्तारियां दी और लाल बाजार तक आगे बढ़ती रहीं।
(ग)
जो जितना बड़ा होता है उसे उतना ही कम गुस्सा आता है। बड़ा होने से तात्पर्य महान होना है। महान लोगों में सहनशीलता बहुत अधिक होती है, उनमें क्षमा करने की प्रवृत्ति होती है। बड़े और महान लोग अपने क्रोध पर नियंत्रण रखने की सामर्थ रखते हैं। किसी भी व्यक्ति की महनता क्षमा करने से होती है ना की सजा देने से। जैसे प्रकृति का तत्व महान हैं जैसे नदी, समुद्र, पर्वत आदि जो मानव द्वारा की गई छेड़छाड़ को सहते रहे हैं।
(घ)
लेखक के मित्र ने मानसिक रोगों के अनेक कारण बताए हैं। लेखक के मित्र के अनुसार जब मनुष्य किसी मानसिक रूप से ग्रस्त हो जाता है, तो वह चलता नहीं बल्कि दौड़ता है, वो बात नहीं करता बल्कि बकवास अधिक करता है। मानसिक रूप से ग्रस्त व्यक्ति एक महीने का काम एक दिन में ही कर लेना चाहता है। उसका दिमाग बहुत तीव्र गति से दौड़ने लगता है और ऊल-जलूल हरकतें करने लगता है। उसका दिमाग अनियंत्रित हो जाता है और उसके मन में प्रतिस्पर्धा की भावना बलवती हो जाती है। इस पाठ के लेखक के यह विचार कि शरीर और मन मशीन की तरह कार्य नहीं कर सकते, बिल्कुल सत्य हैं। क्योंकि शरीर और मन के काम करने की मर्यादा है। इससे अधिक उनसे काम कराने का प्रयास किया जाएगा तो मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है।