२) निम्नलिखित प्रत्रों के उत्तर एक-एक वाक्य में लियो राष्ट्रसंत तुकडोजी ने किसे हर देश में, हर भेष में विद मान माना है। राष्ट्रसंत तुकडोजी के अनुसार यह विश्व किमकी रंगभूमि है? राष्ट्रसंत तुकडोजी के अनुसार ईश्वर सागर से क्या बनकर उठता है?
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हर देश में तू, हर भेष में तू, तेरे नाम अनेक तू एकही है। तेरी रंगभूमि यह विश्व भरा, सब खेल में, मेल में तू ही तो है । सागर से उठा बादल बनके, बादल से फटा जल हो करके। फिर नहर बना नदियाँ गहरी, तेरे भिन्न प्रकार, तू एकही है । चींटी से भी अणु-परमाणु बना, सब जीव-जगत् का रूप लिया। कहीं पर्वत-वृक्ष विशाल बना, सौंदर्य तेरा, तू एकही है। यह दिव्य दिखाया है जिसने, वह है गुरुदेव की पूर्ण दया। तुकड़या कहे कोई न और दिखा, बस में अरु तू सब एकही है।
- संत तुकडोजी
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