निम्नलिखित पछाश में से किसी एक पद्य की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए-
सबद सुने सब कोय, कोकिला सर्ब सुहावन।
दोऊ को रंग एक, काग सब भए अपावन।।
अथवा - दुहु दिसि जय जयकार करि निज निज जोरी जानि।
भिरे बीर इत रामहि उत रावनहि बरवानि।।
কথা
Answers
शब्द सुनै सब कोय, कोकिला सबै सुहावन।
दोऊ के एक रंग, काग सब भये अपावन॥
संदर्भ ➲ ये पक्तियां कविवर गिरधरराय की कुंडलिया की हैं। इनमें कवि गुणों की महत्ता की चर्चा की है।
संदर्भ ➲ कवि गिरधरराय कहते हैं, कि कौआ और कोयल दोनों का रंग-रूप समान होते है, लेकिन लोग केवल कोयल को पसंद करते हैं, क्योंकि कोयल की आवाज मधुर होती हैं। कौआ रंग-रूप में कोयल के समान होने के बावजूद भी लोगों के तिरस्कार पात्र बनता है, इसका एकमात्र कारण उसका आंतरिक अवगुण है। इसलिये मनुष्य रंग-रूप में कितना अच्छा क्यों न हो जब तक उसके आंतिरक गुण अच्छे नही होंगे उसके कोई पंसद नही करेगा।
दुहु दिसि जय जयकार करि निज जोरी जानि।
भिरे बीर इत रामहि उत रावनहि बखानि॥
प्रसंग ➲ ये पंक्तियां गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ के लंका काण्ड खंड की हैं।
संदर्भ ➲ दोनों तरफ के पक्षों के योद्धा एक तरफ श्रीरामपक्ष के योद्धा श्रीराम की जय-जयकार करके तथा दूसरे पक्ष रावणपक्ष के योद्धा रावण की जय-जयकार करके आपस में भिड़ गए।
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