Hindi, asked by aniket7782840738shar, 8 months ago

निम्नलिखित पक्तियों के भाव स्पष्ट करें।'निर्झर कहता है-"बढ़े चलो ! तुम पीछ मत देखो मुड़कर।यौवन कहता है-"बढ़े चलो। सोचो मत होगा क्या चलकर​

Answers

Answered by bhatiamona
0

संदर्भ — यह पंक्तियां आरसी प्रसाद सिंह द्वारा रचित कविता जीवन का झरना से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि ने जीवन की गतिशीलता का वर्णन किया है।

Explanation:

व्याख्या — कवि कहते हैं कि गतिशीलता का ही नाम जीवन है। मनुष्य का जीवन निरंतर चलता रहता है गतिमान रहता है। जीवन और झरना दोनों का स्वरूप और आचरण ही समान ही है। जिस तरह झरना निरंतर बहता रहता है वैसे ही जीवन निरंतर चलता रहता है। जहां झरना रुका वहाँ उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है। उसी प्रकार जीवन भी यहां रुके वही उसकी सार्थकता खत्म हो जाती है। इसीलिए निरंतर चलते रहने का ही नाम जीवन है। झरना कहता है कि तुम निरंतर चलते रहो मेरी तरह, क्योंकि चलना ही हम लोगों का धर्म है, गतिशीलता ही हम लोग का धर्म है। यौवन भी हमें सदैव गतिशील रहने के लिए प्रेरित करता है। झरना और यौवन कहते हैं की निरंतर चलते रहो, आगे बढ़ते रहो सोचो मत कि आगे क्या होगा। परिणाम की चिंता किये वगैर अपना कर्म करते रहो।

Answered by saket3422
0

Answer:

कवि कहते है की जिवन में कार्य, प्रगति, वृद्धि और विकास की और हमेशा अनवरत प्रयास करते रहना चाहिए ना कि बीते हुए बातों पर बार-बार विचार करके अपनी गति को धीमी करनी चाहिए।

Similar questions