Hindi, asked by garghimank25, 1 month ago

निम्नलिखित पक्तियों में निहित अलंकार लिखिए :

6. जोग ठगौरी बचन बिकै हैं।
7. जो नत हुआ, वह मृत हुआ, ज्यों वृंत से झर कर कुसुम।
8. काली घटा का घमंड घटा।यमा अलकार
9. बीती विभावरी जागरी अंबर पनघट में डुबो रही तारा घट ऊषा नागरी।
10. पँखुरी लगे गुलाब की परिहैं गात खरोट
11. मेरी भव बाधा हरो राधा नागरि सोय
जा तन की झाँई परै स्यामु हरित दुति होय
12. वह जिंदगी क्या जिंदगी जो सिर्फ पानी-सी बही।
13. पदमावती सब सखी बुलाई
मनु फुलवारी सबै चलि आई।​

Answers

Answered by ritikasingh9940
3

Answer:

6. जोग ठगौरी बचन बिकै हैं।

7. जो नत हुआ, वह मृत हुआ, ज्यों वृंत से झर कर कुसुम।

8. काली घटा का घमंड घटा।यमा अलकार

9. बीती विभावरी जागरी अंबर पनघट में डुबो रही तारा घट ऊषा नागरी।

10. पँखुरी लगे गुलाब की परिहैं गात खरोट

11. मेरी भव बाधा हरो राधा नागरि सोय

जा तन की झाँई परै स्यामु हरित दुति होय

12. वह जिंदगी क्या जिंदगी जो सिर्फ पानी-सी बही।

13. पदमावती सब सखी बुलाई

मनु फुलवारी सबै चलि आई।​

Answered by manishadhiman31
1

Answer:

जोग ठगौरी में रूपक अलंकार का प्रयोग किया गया है।

जो नत हुआ वह मृत हुआ ज्यों वृंत से झरकर कुसुम। Explanation: उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा के अनुसार जब समानता का भाव होने के कारण उपमेय में ही उपमान के होने की कल्पना कर ली जाए या संभावना व्यक्त की जाए, तब वहां पर उत्प्रेक्षा अलंकार की प्रतीति होती है

काली घटा का घमंड घटा" में कौन सा अलंकार है? यमक अलंकार क्योंकि इसमें घटा शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है और इनके अर्थ अलग-2 हैं -पहली घटा का आर्थ है बादल और दूसरी घटा का अर्थ है कम होना।

Explanation:

रूपक अलंकार  

जिस जगह उपमेय पर उपमान का आरोप किया जाए, उस अलंकार को रूपक अलंकार कहा जाता है, यानी उपमेय और उपमान में कोई अन्तर न दिखाई पड़े।[1]

उदाहरण

बीती विभावरी जाग री।

अम्बर-पनघट में डुबों रही, तारा-घट उषा नागरी।

यहाँ पर अम्बर में पनघट, तारा में घट तथा उषा में नागरी का अभेद कथन है।

पंखुरी लगे गुलाब की परिहैं गात खरौट। kaun sa alankar hai.

हमे पता है कि गुलाब के पंखुड़ियां बहुत कोमल होती है और उससे खरोच आना असंभव है। लेकिन इधर कहा गया है गुलाब के पंखुड़ियां लगने से ही कारोच लग गई। इसमें बढ़ा चढ़ाके बताया जा रहा है। इसलिए इसमें अतिशयोक्ति अलंकार है।

मेरी भववाधा हरौ, राधा नागरि सोय। जा तन की झाँई परे स्याम हरित दुति होय।। यहाँ श्लेष अलंकार का सुन्दर उदाहरण है

उपमा अलंकार की परिभाषा के अनुसार जब किसी वस्तु के गुणों की तुलना किसी दूसरी वस्तु से की जाए। अर्थात उपमेय की तुलना उपमान से की जाए तो वहां पर उपमा अलंकार होता है। वह जिंदगी क्या जिंदगी जो सिर्फ पानी सी बहे में यहां पर जिंदगी की तुलना पानी से की गई है, इसके लिए यहां पर उपमा अलंकार होगा।

उत्प्रेक्षा के वाचक पद (लक्षण): यदि पंक्ति में ज्यों, मानो, जानो, इव, मनु, जनु, जान पड़ता है- इत्यादि हो तो मानना चाहिए कि वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग हुआ है पदमावती सब सखी बुलाई

मनु फुलवारी सबै चलि आई।

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