निम्नलिखित पर एक लघु निबंध लिखिए :
आरंभिक समाज में स्त्री-पुरुष के संबंधों की विषमताएँ कितनी महत्वपूर्ण रही होंगी? कारण सहित उत्तर दीजिए।
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आरंभिक समाज में स्त्री-पुरुष के संबंधों की विषमताओं के कारण निम्नलिखित थे :
- प्राचीन भारत के आने में समाज में स्त्री-पुरुष के संबंधों में विषमताएं विद्यमान थी। लोग पुत्र प्राप्ति हेतु यज्ञ, ईश्वर की प्रार्थना, मंत्रोच्चारण आदि करते थे। पितृसत्तात्मक समाज में पुरुषों का वर्चस्व था और पुरुषों को ही अधिक महत्व दिया जाता था ।
- मनुस्मृति के अनुसार, पुरुष सात प्रकार से धन प्राप्त कर सकते थे; जैसे विरासत ,खोज ,खरीद ,निवेश , विजित करके , कार्य द्वारा तथा लोगों द्वारा दी गई भेंट स्वीकार करके।
- स्त्रियां छह प्रकार से धन अर्जित कर सकती थी ;जैसे - वैवाहिक अग्नि के सामने तथा वधूगमन के समय मिली भेंट , भाई, माता-पिता द्वारा दिए गए उपहार। इसके अतिरिक्त विवाह के पश्चात मिलने वाले उपहार भी इसमें सम्मिलित थे। स्त्रियों को विवाह के पश्चात अपने पिता के गोत्र को त्यागकर अपने पति का गोत्र अपनाना पड़ता था, क्योंकि उस समय पुरुषों को अधिक महत्व दिया जाता था।
- प्राचीन समाज में स्त्रियों के अस्तित्व एवं सम्मान का ध्यान नहीं रखा जाता था । महाभारत के एक महत्वपूर्ण प्रकरण, जिसमें युधिष्ठिर अपनी पत्नी द्रौपदी को दांव पर लगा देते हैं, से स्पष्ट होता है कि पुरुष अपनी पत्नी को एक संपत्ति समझता था।
- इस घटना पर द्रौपदी ने प्रश्न उठाया कि क्या स्त्री को दांव पर लगाना उचित है? उस काल में इसे अनुचित नहीं माना गया, क्योंकि पत्नी पर पति का सदैव नियंत्रण होता था है। युधिस्टर स्वयं को हारने के बाद दास बन गए थे । अतः एक दास किसी अन्य को दांव पर नहीं लगा सकता था।
- स्त्रियों को पैतृक संपत्ति में भागीदारी नहीं दी गई थी। स्त्रियां केवल विवाह के समय प्राप्त उपहार पर अपना स्वामित्व रख सकती थी। इसे 'स्त्रीधन' कहा जाता था।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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क्या यह संभव है कि महाभारत का एक ही रचयिता था? चर्चा कीजिए।
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Explanation:
आरंभिक भारतीय समाज में स्त्री-पुरुष के संबंधों में भेदभाव (विषमताएँ) था।
- ब्राह्मण ग्रंथों से यह स्पष्ट है कि समाज में पितृवंशिकता का 'आदर्श' स्थापित हो चुका था।
- इसमें वंश परंपरा पिता से पुत्र फिर पौत्र और प्रपौत्र आदि की ओर चलती थी।
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