निम्नलिखित पर एक लघु निबंध लिखिए :
भारतीय साहित्य के प्रसिद्ध इतिहासकार मौरिस विंटरविट्ज़ ने महाभारत के बारे में लिखा था कि: "चूँकि महाभारत संपूर्ण साहित्य का प्रतिनिधित्व करता है... बहुत सारी और अनेक प्रकार की चीजें इसमें निहित हैं... (वह) भारतीयों की आत्मा की अगाध गहराई को एक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।" चर्चा कीजिए।
Answers
प्राचीन भारतीय इतिहास के पुनर्निर्माण के लिए बहुत सारे साहित्यिक स्रोत उपलब्ध हैं। महाभारत उनमें से एक है।
इसके महत्व को मौरिस विंटरनित्ज़ ने भी माना है क्योंकि उनकी राय में महाभारत पूरे साहित्य का प्रतिनिधित्व करता है।
यह महाकाव्य भारतीयों के जीवन पर निर्णय के प्रकाश डालता है -
सामाजिक जीवन :
(1) चार वर्ण :
समाज चार वर्णों में बंटा हुआ था । वर्ण व्यवस्था अधिक कठोर नहीं थी। लोगों के लिए अपना पैतृक व्यवसाय अपनाना आवश्यक नहीं था । उदाहरण के लिए परशुराम ब्राह्मण क्षत्रिय होते हुए भी क्षत्रिय कहलाए। उस समय के समाज में ब्राह्मणों को सर्वोच्च स्थान भी प्राप्त नहीं था।
(2) स्त्रियों की दशा :
स्त्रियों की दशा अच्छी थी। समाज में उनका बड़ा आधार था। स्वयंवर की प्रथा के अनुसार उन्हें अपना वर स्वयं चुनने का अधिकार था।
(3) वीरता का युग :
महाभारत का काल वीरता का युग था । युद्ध में वीरगति प्राप्त करना गर्व का विषय समझा जाता था । लोगों का विश्वास था कि युद्ध में मरने वाला व्यक्ति सीधा स्वर्ग में जाता है। उस समय निर्बल की रक्षा करना भी बड़ी वीरता का कार्य समझा जाता था।
(4) सामाजिक बुराइयां :
इस काल के समाज में कुछ बुराइयां भी थी । इनमें से जुआ खेलना , बहुविवाह, शत्रुओं से धोखा करना आदि बातें प्रमुख थी।।
राजनीतिक विज्ञान :
(1) विशाल साम्राज्य :
इस काल में अनेक विशाल साम्राज्य स्थापित हो चुके थे। इन राज्यों में पांडु, कौशल ,पांचाल आदि राज्य प्रमुख थे।
(2) राजा की शक्तियां :
उस समय राज्य का मुखिया राजा होता था। राज्य के सभी शक्तियों उसी के हाथ में थी । इन शक्तियों पर किसी प्रकार की कोई रोक नहीं थी । भले ही शासन कार्यों में राजा को सलाह देने के लिए अनेक मंत्री थे, फिर भी उनकी सलाह मानना राजा के लिए आवश्यक नहीं था।
(3) राजा का जीवन :
वीर काल में राजा बड़े ठाठ बाट से रहते थे। उनके महल बड़े शानदार होते थे। वे अनेक उपाधियां धारण करते थे। चक्रवर्ती सम्राट बनना उनकी बहुत बड़ी इच्छा होती थी । इस उद्देश्य से अश्वमेघ यज्ञ रचाया करते थे। उन राजाओं में अनेक अवगुण भी थे। उनके दरबार में अनेक नाचने गाने वाली नर्तकियां होती थी । शराब पीना और जुआ खेलना आदि बुराईयां भी उनके चरित्र में शामिल थी।
आर्थिक जीवन :
(1) कृषि :
इस काल में लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि करना था। यहां तक कि स्वयं राजा लोग भी हल चलाया करते थे। उस समय भूमि बड़ी उपजाऊ थी।
(2) पशुपालन :
पशुपालन लोगों का दूसरा मुख्य व्यवसाय था । उस समय के पालतू पशुओं में गाय, बैल, घोड़े तथा हाथी मुख्य थे।
(3) व्यापार :
इस काल में व्यापार काफी उन्नत था । व्यापारियों ने अपने संघ बनाए हुए थे। उन्हें राज्य की ओर से अधिक सुविधाएं प्राप्त थी।
(4) अन्य व्यवसाय :
पीछे दिए गए व्यवसायों के अतिरिक्त कुछ लोग बढ़ई, लुहार, सुनार तथा रंगसाजी आदि का कार्य भी करते थे।
धार्मिक जीवन :
(1) नए देवी देवताओं की पूजा :
महाभारत काल में वैदिक आर्यों के देवी देवताओं के साथ-साथ कुछ नए देवी देवताओं की पूजा भी की जाने लगी। इनमें से पार्वती, दुर्गा, विष्णु, ब्रह्मा आदि प्रमुख थे।
(2) अवतारवाद में विश्वास :
इस काल में लोग अवतारवाद में विश्वास रखने लगे थे। राम, कृष्ण आदि को विष्णु का अवतार मानकर उसकी पूजा की जाने लगी।
(3) कर्म सिद्धांत पुनर्जन्म :
इस काल में लोग कर्म सिद्धांत और पुनर्जन्म में बड़ा विश्वास रखते थे। उनका विश्वास था कि प्रत्येक मनुष्य को अपने अच्छे या बुरे कर्मों का फल अगले जन्म में अवश्य भोगना पड़ता है।
(4) यज्ञों पर बल :
महाकाव्य काल में लोग यज्ञों पर बड़ा बल देते थे। यज्ञों की अनेक विधियां आरंभ हो गई थी । राजा लोग यज्ञों के अवसर पर दिल खोलकर दान देते थे।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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उत्तर दीजिए ( लगभग 100-150 शब्दों में ) निम्नलिखित अवतरण महाभारत से है जिसमें ज्येष्ठ पांडव युधिष्ठिर दूत संजय को संबोधित कर रहे हैं :
संजय धृतराष्ट्र गृह के सभी ब्राह्मणों और मुख्य पुरोहित को मेरा विनीत अभिवादन दीजिएगा। में गुरु द्रोण के सामने नतमस्तक होता हूँ... मैं कृपाचार्य के चरण स्पर्श करता हूँ... (और) कुरु वंश के प्रधान भीष्म के। मैं वृद्ध राजा (धृतराष्ट्र) को नमन करता हूँ। मैं उनके पुत्र दुर्योधन और उनके अनुजों के स्वास्थ्य के बारे में पूछता हूँ तथा उनको शुभकामनाएँ देता हूँ... मैं उन सब युवा कुरु योद्धाओं का अभिनंदन करता हूँ जो हमारे भाई, पुत्र और पुत्र हैं... सर्वोपरि मैं उन महामति विदुर को (जिनका जन्म दासी से हुआ है) नमस्कार करता हूँ जो हमारे पिता और माता के सदृश हैं... मैं उन सभी वृद्धा स्त्रियों को प्रणाम करता हूँ जो हमारी माताओं के रूप में जानी जाती हैं। जो हमारी पत्नियाँ हैं। उनसे यह कहिएगा कि, “मैं आशा करता हूँ कि वे सुरक्षित हैं".. मेरी ओर से उन कुलवधुओं का जो उत्तम परिवारों में जन्मी हैं और बच्चों की माताएँ हैं, अभिनंदन कीजिएगा तथा हमारी पुत्रियों का आलिंगन कीजिएगा... सुंदर, सुगंधित, सुवेशित गणिकाओं को शुभकामनाएँ दीजिएगा। दासियों और उनकी संतानों तथा वृद्ध, विकलांग और असहाय जनों को भी मेरी ओर से नमस्कार कीजिएगा...
इस सूची को बनाने के आधारों की पहचान कीजिए - उम्र, लिंग, भेद व बंधुत्व के संदर्भ में। क्या कोई अन्य आधार भी हैं? प्रत्येक श्रेणी के लिए स्पष्ट कीजिए कि सूची में उन्हें एक विशेष स्थान पर क्यों रखा गया है?
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उत्तर दीजिए ( लगभग 100-150 शब्दों में ) किन मायनों में सामाजिक अनुबंध की बौद्ध अवधारणा समाज के उस ब्राह्मणीय दृष्टिकोण से भिन्न थी जो ‘पुरुषसूक्त' पर आधारित था।
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thanks fot answers
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