निम्नलिखित पर एक लघु निबंध लिखिए (लगभग 250-300 शब्दों में) क्या आपको लगता है कि समकालीन शहरी केंद्रों में जीवन-शैली की सही जानकारी प्राप्त करने में इब्न बतूता का वृत्तांत सहायक है? अपने उत्तर के कारण दीजिए।
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हां, मुझे लगता है कि समकालीन शहरी केंद्रों में जीवन-शैली की सही जानकारी प्राप्त करने में इब्न बतूता का वृत्तांत सहायक है। उसके कारण निम्न प्रकार से है :
इसमें कोई संदेह नहीं कि इबन बतूता का वृत्तांत शहरी केंद्रों की जीवन शैली को समझने में सहायक है। इसका कारण यह है कि यह वरदान बहुत ही विस्तृत तथा स्पष्ट है। ऐसा लगता है जैसे कि एक सजीव चित्र हमारे सामने प्रस्तुत कर दिया गया हो।
(1) इब्नबतूता के अनुसार उपमहाद्वीप के नगरों में इच्छा शक्ति , साधनों तथा कौशल वाले लोगों के लिए भरपूर अवसर थे । ये नगर घनी आबादी वाले तथा समृद्ध थे । परंतु कुछ नगर युद्धों तथा अभियानों के कारण खत्म भी हो चुके थे।
(2) इब्नबतूता के वृत्तांत से ऐसा लगता है कि ज्यादातर नगरों में भीड़भाड़ वाली सड़कें तथा रंगीन बाजार थे जो विभिन्न तरह की चीजों से भरे रहते थे।
(3) इब्नबतूता दिल्ली को भारत में सबसे बड़ा शहर बताता है जिसकी जनसंख्या बहुत अधिक थी । दौलताबाद जो महाराष्ट्र में है वो भी कुछ कम नहीं था । यह शहर आकार में दिल्ली को टक्कर देता था।
(4) बाज़ार मात्र क्रय विक्रय के ही स्थान नहीं थे , बल्कि ये सामाजिक तथा आर्थिक गतिविधियों के केंद्र भी थे। शहर के अधिकांश बाजारों में एक मस्जिद और मंदिर होता था । कुछ बाजारों में नृतकों, संगीतकारों तथा गायकों के सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए स्थान भी विद्यमान थे।
(5) इतिहासकारों ने इब्नबतूता के वृत्तांत का उपयोग यह तर्क देने के लिए किया कि नगरों की संपन्नता का आधार गांव की कृषि अर्थव्यवस्था थी।
(6) इब्नबतूता के अनुसार भारतीय कृषि के इतना अधिक उत्पादन होने का कारण मिट्टी का उपजाऊपन था। अतः किसानों के लिए वर्ष में दो फसलें उगाना आसान था।
(7) उसने यह भी ध्यान दिया की उपमहाद्वीप व्यापार तथा वाणिज्य के एशियाई तंत्रों से भलीभांति जुड़ा हुआ है। भारतीय वस्तुओं की मध्य तथा दक्षिण पूर्व एशिया में बहुत मांग थी। इससे शिल्पकारों तथा व्यापारियों को काफी लाभ होता था ।
भारत के सूती कपड़े , महीन मलमल, रेशम तथा साटन की तो विशेष मांग थी। इब्न बबूता हमें बताता है कि मलमल की कई किस्मों के मूल्य इतने अधिक थे कि केवल उन्हें अत्यधिक धनी लोग ही खरीद सकते थे।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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उत्तर-
इब्नबतूता ने अपनी यात्रा वृतांत में भारतीय उपमहाद्वीप के शहरों और उसमें रहने वाले लोगों की जीवन शैली के विषय में महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान की हैं।
उसके वृत्तांत से पता चलता है कि उपमहाद्वीप के शहर सुख-समृद्धि से भरपूर थे। जिनमें ऐसे लोग रहते थे जिनके पास साधन और कौशल के भरपूर अवसर थे। यह शहर घनी आबादी वाले थे। कुछ शहर युद्ध आदि के कारण नष्ट भी हो चुके थे।
इब्नबतूता के वृत्तांत से पता चलता है कि अधिकतर शहरों में भीड़भाड़ वाली सड़कें थीं। चमक-दमक और चहल-पहल वाले रंगीन बाजार थे, जो तरह-तरह की वस्तुओं से भरे रहते थे।
इब्नबतूता ने अपने वृत्तांत में दिल्ली शहर को एक बड़ी आबादी वाला शहर बताया है। उसने महाराष्ट्र के दौलताबाद को भी कम नहीं बताया है और दिल्ली को चुनौती देने वाला शहर बताया है।
इब्नबतूता के अनुसार भारतीय शहरों में कृषि ही व्यापार का मूलाधार था। इब्नबतूता के यात्रा वृत्तांत हमें भारत के तत्कालीन शहरी जीवन शैली की सही जानकारी का आकलन करने में सहायता करते हैं।
इब्नबतूता के वृतांत के अनुसार भारतीय माल की मध्य और दक्षिण पूर्व एशिया में बड़ी मांग थी। जिससे व्यापारियों को बड़ा मुनाफा होता था। विशेष सूती कपड़े, मखमल से बने कपड़े की बहुत बड़ी मांग थी। महीन मखमल कि कुछ किस्में इतनी महंगी होती थी कि वह अमीर लोगों के द्वारा खरीद जा सकती थी।
इब्नबतूता ने अपने वृत्तांत में बताया है कि भारत के शहरों के चारों तरफ चारदीवारी होती थी और शहर में प्रवेश करने के लिए चारदीवारी में बड़े-बड़े दरवाजे बनाए जाते थे। उसने दिल्ली का उदाहरण देते हुए लिखा है कि दिल्ली के चारों तरफ 11 हाथ चौड़ी प्राचीर थी जिसमें 28 दरवाजे थे।
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