History, asked by maahira17, 11 months ago

निम्नलिखित पर एक लघु निबंध लिखिए (लगभग 250-300 शब्दों में) क्यों और किस तरह शासकों ने नयनार और सूफ़ी संतों से अपने संबंध बनाने का प्रयास किया?

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Answered by nikitasingh79
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शासकों ने नयनार और सूफ़ी संतों से अपने संबंध इसलिए बनाए क्योंकि समाज का एक बड़ा वर्ग इनका समर्थक था और शासक इनका समर्थन प्राप्त करने के लिए इन से संबंध स्थापित करने का प्रयास करते रहते थे ।  

ये प्रयास निम्नलिखित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु किए जाते थे :  

(1) उपासना पद्धतियों के क्रमिक विकास के समय अनेक बार संत ऐसे नेता के रूप में उभरे जिनके इर्द गिर्द भक्त जनों के एक पूरे समुदाय का गठन हो गया। बहुत से व्यक्ति इनके अनुयायी बन गए तथा इनके द्वारा प्रचलित विचारधारा को अपनाने लगे। नयनार संत , जो भगवान शिव की आराधना करते थे, वे वेल्लार कृषकों  द्वारा सम्मानित होने लगे तथा समाज में इनकी प्रभु सत्ता में धीरे धीरे वृद्धि होने लगी। अपनी जनता का समर्थन पाने के क्रम में शासकों ने भी उनका समर्थन करना शुरू कर दिया। इन शासकों में प्रमुख चोल सम्राट थे। चोल सम्राटों ने दैवीय समर्थन पाने का दावा किया तथा शिव के बड़े-बड़े मंदिरों की स्थापना की। इन संतों की लोकप्रियता को भुनाने के लिए इनके द्वारा रचित भजन मंदिरों में गाए जाने लगे , जिनका प्रचलन चोल सम्राटों ने ही किया। संत कवियों की प्रतिमाएं भी मंदिरों में स्थापित की जाने लगी।  

(2) संतो द्वारा रचित गीतों का संकलन भी शासकों ने करवाया, जिसे 'तवरम' कहा गया। जब तुर्को ने दिल्ली सल्तनत की स्थापना की, तो उलेमा द्वारा शारिया लागू करने की मांग को ठुकरा दिया गया, क्योंकि अधिकांश प्रजा इस्लाम धर्म मानने वाली नहीं थी, वह गैर इस्लामिक थी, लेकिन इस्लाम धर्म में शासकों द्वारा अपने राज्य में शारिया को लागू करवाना सर्वप्रमुख माना जाता था।

(3) ऐसे में सुल्तानों ने सूफियों के विचारों का समर्थन किया, क्योंकि सूफी लोगों ने उलेमा द्वारा व्याख्यायित शारिया को मानने से मना कर दिया था तथा इन्होंने अपने आध्यात्मिक सत्ता को सीधे अल्लाह के साथ जोड़ा था।

(4) इसके अतिरिक्त सूफी संत दान में मिले हुए धन को अनुष्ठानिक कार्यों में खर्च कर देते थे , जिसके चलते ये साधारण जनता में काफी प्रसिद्ध हो गए थे । सूफी संतों की धर्म निष्ठा और लोगों द्वारा उनके चमत्कारी शक्ति में विश्वास उनकी लोकप्रियता के प्रमुख कारण थे। इन वजहों से भी शासक उनका समर्थन प्राप्त करना चाहते थे। शासक वर्ग भी इनकी दरगाहों पर जियारत के लिए जाने लगे। मोहम्मद बिन तुगलक ,मालवा के शासक गयासुद्दीन खिलजी तथा अकबर जैसे महान शासक भी इनकी दरगाह पर जाते थे।

उपरोक्त सभी कारणों के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि चोल शासकों के साथ-साथ अन्य शासकों ने भी नयनार और सूफी संतों से अपने संबंध बनाने के प्रयास किए।

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

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Answered by Anonymous
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Answer:

शासकों ने नयनार और सूफ़ी संतों से अपने संबंध इसलिए बनाए क्योंकि समाज का एक बड़ा वर्ग इनका समर्थक था और शासक इनका समर्थन प्राप्त करने के लिए इन से संबंध स्थापित करने का प्रयास करते रहते थे ।

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