History, asked by maahira17, 9 months ago

निम्नलिखित पर एक लघु निबंध लिखिए (लगभग 250 से 300 शब्दों में) उन्नीसवीं सदी में नगर-नियोजन को प्रभावित करने वाली चिंताएँ कौन सी थीं?

Answers

Answered by nikitasingh79
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उन्नीसवीं सदी में नगर-नियोजन को प्रभावित करने वाली चिंताएँ निम्नलिखित थीं -  

  • औपनिवेशिक शहरों की बढ़ती हुई जनसंख्या पर नियंत्रण प्राप्त करना।
  • शहरों को बसाने के लिए नियोजन की व्यवस्था करना साथी इमारतों के निर्माण के लिए मानचित्र पद्धति लागू करना।
  • हैजा एवं प्लेग जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए शहरों की सफाई को नियमित रूप से संचालित करना।
  • नस्लीय भेदभाव के आधार पर शहरों का विभाजन भी औपनिवेशिक शासकों के लिए चिंता का विषय था।
  • 1857 ईसवी के विद्रोह के बाद यूरोपियों की सुरक्षा , सार्वजनिक इमारतों एवं संपत्ति की रक्षा भी चिंता का विषय थी।
  • ब्लैक टाउन एवं गंदी बस्तियों से सभी यूरोपीय परेशान रहते थे । यूरोपीय शहरों में व्याप्त सभी समस्याओं के लिए इन्हें ही जिम्मेदार मानते थे ,साथ ही भीड़ की वजह से शहरों में 'चाॅल' या बहुमंजिला इमारतें बनाना भी सरकार के लिए चिंता की बात थी।  
  • औपनिवेशिक शहरों के रखरखाव ,साफ-सफाई एवं सुधार के कार्यों के लिए धन एकत्रित करना भी चिंता की बात थी, जिसके लिए औपनिवेशिक काल में लॉटरी कमेटी को शुरू किया गया था । यातायात तथा संचार का माध्यम बड़े शहरों का एक प्रमुख बिंदु हुआ करता है। यातायात के साधन तथा उसके विस्तार पर भी ध्यान देना था जिससे शहर को सुचारू रूप से चलाया जा सके।

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

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Answered by Anonymous
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Explanation:

 \bf \large{ \underline{Question}}

निम्नलिखित पर एक लघु निबंध लिखिए (लगभग 250 से 300 शब्दों में) उन्नीसवीं सदी में नगर-नियोजन को प्रभावित करने वाली चिंताएँ कौन सी थीं?

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 \bf \large{ \underline{Answer}}

1. नगर को समुद्र के निकट बसाना 19वीं शताब्दी के नगर-नियोजन की एक प्रमुख चिंता थी। औपनिवेशिक सरकार नगरों को समुद्र के निकट विकसित करना चाहती थी ताकि यूरोपीयों के व्यापारिक उद्देश्यों की पूर्ति भली-भाँति की जा सके। भारत का माल सरलतापूर्वक यूरोप में भेजा जा सके और यूरोपीय माल बिना किसी कठिनाई के भारत लाया जा सके।

2. नगर-नियोजन की दूसरी महत्त्वपूर्ण चिंता सुरक्षा से संबंधित थी। वास्तव में 1857 ई० के विद्रोह ने भारत में औपनिवेशिक अधिकारियों को इतना अधिक आतंकित कर दिया था कि उन्हें सदैव विद्रोह की आशंका बनी रहती थी। अतः सुरक्षा की दृष्टि से वे “देशियों” अर्थात् भारतीयों के खतरे से दूर, पृथक् एवं पूर्ण रूप से सुरक्षित बस्तियों में रहना चाहते थे। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए पुराने कस्बों के आस-पास स्थित चरागाहों एवं खेतों को साफ करवा दिया गया। सिविल लाइंस के नाम से नए शहरी क्षेत्र विकसित किए गए जिनमें केवल यूरोपीय ही निवास कर सकते थे।

3. शहरों के नक्शे अथवा मानचित्र तैयार करवाना नगर-नियोजन की एक अन्य महत्त्वपूर्ण चिंता थी। किसी भी स्थान की बनावट अथवा भू-दृश्य को समझने के लिए मानचित्रों का होना नितांत आवश्यक था। विकास की योजना को तैयार करने, व्यवसायों का विकास करने, औपनिवेशिक सत्ता को मजबूती से स्थापित करने तथा रक्षा संबंधी उद्देश्यों के लिए योजना तैयार करने के लिए भी मानचित्रों की आवश्यकता थी।

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