Biology, asked by maahira17, 9 months ago

निम्नलिखित पर संक्षित टिप्पणी (नोट) लिखिए -
(क) मरुस्थल पादपों और प्राणियों का अनुकूलन
(ख) जल की कमी के प्रति पादपों का अनुकूलन
(ग) प्राणियों में व्यावहारिक (बिहेवियोरल) अनुकूलन
(घ) पादपों के लिए प्रकाश का महत्त्व
(च) तापमान और पानी की कमी का प्रभाव तथा प्राणियों का अनुकूलन

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Answered by nikitasingh79
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(क) मरुस्थल पादपों और प्राणियों का अनुकूलन :  

मरुस्थल पादपों की वाह्य त्वचा के बाहर मोटी उपत्वचा पाई जाती है व रंध्र धंसे हुए होते हैं। कई बार पत्तियों पर रोम व सघन रोम की परत पाई जाती है, जो वाष्पोत्सर्जन की दर को कम करती है।  

नागफनी में पत्तियों गिर जाती है और तना हरा चपटा हो जाता है तथा श्लेष्म युक्त होता है जिससे जल संग्रह कर सकता है।

मरुस्थल में ऊंट की पीठ पर कूबड़ होता है। जिसमें भोजन और पानी संग्रहित रह सकता है । ऑस्ट्रेलिया का कंगारू चूहा आंतरिक वसा के ऑक्सीकरण से उत्पन्न सहउत्पाद जल से अपनी जल की आवश्यकता पूरी कर लेता है व इसका मूत्र सांद्रित होता है जिससे उत्सर्जित तत्वों को हटाने के लिए जल की काफी कम मात्रा काम में ली जाती है।  

(ख) जल की कमी के प्रति पादपों का अनुकूलन :  

(1) जल की कमी के अनुकूलन हेतु पादपों की वाह्य त्वचा के बाहर मोटी क्यूटिकल पाई जाती है।

(2) पर्ण पर मोटी त्वचा तथा सघन रोम पाए जाते हैं , जो वाष्पोत्सर्जन की दर कम करते हैं।

(3) रन्ध्र  धंसे होते हैं व रन्ध्रीय गुहा में काफी रोम भी पाए जाते हैं।

(4) कुछ पादपों की पत्तियों की वाह्य त्वचा में प्रकाश संवेदी कोशिकाएं होती है जो तीव्र प्रकाश से पत्तियों को मोड़ने में सहायता करती हैं।  

(5) कुछ पादपों में विशेष प्रकाश संश्लेषी पथ उपस्थित होता है जो CAM  चक्र कहलाता है । इसमें रन्ध्र दिन में बंद रहते  हैं।  

(6) नागफनी जैसे पादपों में पत्तियां गिर जाती हैं और तना मोटा, हरा चपटा हो जाता है, जो प्रकाश संश्लेषण करने में समर्थ होता है व  पर्णाभ स्तंभ कहलाता है।  

(ग) प्राणियों में व्यावहारिक (बिहेवियोरल) अनुकूलन :  

मरुस्थली छिपकली सूर्य की गर्मी का अवशोषण करती है तथा आराम की अवस्था में तापमान को कम कर लेती है।

कुछ जातियां सतह की गर्मी से बचने के लिए जमीन के अंदर बिल बनाकर छुपी रहती हैं। शीत निष्क्रियता व ताप निष्क्रियता एक्टोथर्मिक जंतुओं में समान रूप से पाई जाती है।  

(घ) पादपों के लिए प्रकाश का महत्त्व :  

सभी पादप सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में भोजन निर्माण करते हैं जिसे प्रकाश संश्लेषण कहते हैं। अतः प्रकाश पादपों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।  

(च) तापमान और पानी की कमी का प्रभाव तथा प्राणियों का अनुकूलन :  

प्राणियों का जीवन उनकी विभिन्न उपापचयी क्रियाएं तथा उनका भौगोलिक वितरण तापमान व पानी पर निर्भर करता है। जीवों के तापमान उनके एंजाइम की बलगति को प्रभावित करता है। जिससे आधारी उपापचय व अन्य कार्यिकीय प्रकार्य प्रभावित होते हैं व जीव तापमानों के कम परास पर ही जीवित या सकते हैं । जीवो में तापमान अनुकूलन के लिए अनुकूलन की विभिन्न प्रक्रियाएं जैसे हाइबरनेशन, ग्रीष्म निष्क्रियता तथा उपरित निलंबित परिवर्धन , आदि अवस्थाएं विकसित हो जाती हैं।  

ठंड से बचने के लिए ध्रुवीय सील मछली की सतह के नीचे बलवर पाए जाते हैं, वही ऑस्ट्रेलियन छिपकली तापमान कम होने पर धूप सेंक कर अपना तापमान बढ़ा लेती है।  पानी की कमी को पूरा करने के लिए उत्तरी अमेरिका का कंगारू चूहा अपने आंतरिक वसा ऑक्सीजन में सह उत्पादन के रूप में निकले जल से करता है व इसका मूत्र सांद्रित होता है। जिससे उत्सर्जी पदार्थों को हटाने के लिए जल की मात्रा काम में आती है ।

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

 

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