-निम्नलिखित परिषद को पढ़कर नीचे दिए हुए प्रश्नों के उत्तर लिखिए |
तुम्हें क्या करना चाहिए, इसका ठीक - ठीक उत्तर तुम्ही को देना होगा, दूसरा कोई नहीं दे सकता
कैसा भी विश्वासपात्र मित्र हो, तुम्हारे इस काम को वह अपने ऊपर नहीं ले सकता हम अनुभवी
लोगों की बातों को आदर के साथ सुनें, बुद्धिमानों की सलाह को कृतज्ञतापूर्वक मानें, पर इस बात को
निश्चित समझकर कि हमारे कामों से ही हमारी रक्षा वह हमारा पतन होगा । हमें अपने विचार और
निर्णय की स्वतंत्रता को दृढ़तापूर्वक बनाए रखना चाहिए | जिस पुरुष की दृष्टि सदा नीचे रहती है,
उसका सिर कभी ऊपर न होगा | नीची दृष्टि रखने से यघपि रास्ते पर रहेंगे, पर इस बात को न
देखेंगे कि यह रास्ता कहाँ ले जाता है । चित्त की स्वतंत्रता का मतलब चेष्टा की कठोरता या प्रकृति
की उग्रता नहीं है । अपने व्यवहार में कोमल रहो और अपने उददेश्यों उच्च रखो, इस प्रकार नम और
उच्चाशय दोनों बनो। अपने मन को कभी मरा हुआ न रखो। जो मनुष्य अपना लक्ष्य जितना ही ऊपर
रखता है, उसका तीर उतना ही ऊपर जाता है ।
45. मनुष्य को दूसरों से क्या ग्रहण करना चाहिए ?
46. 'विचार और निर्णय' की स्वतंत्रता को बनाए रखने से लेखक का क्या तात्पर्य है ?
47. अपना सिर ऊपर रखने के लिए मनुष्य को क्या करना चाहिए |
48. इस गघांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
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