निम्नलिखित पद का भावार्थ लिखिए। जागो बंसीवारे ललना! जागो मोरे प्यारे! रजनी बीती, भोर भयो है, घर-घर खुले किंवारे । गोपी दही मथत, सुनियत हैं कंगना के झनकारे ।। उठो लालजी ! भोर भयो है, सुर-नर ठाढ़े द्वारे । ग्वाल-बाल सब करत कुलाहल, जय-जय सबद उचारै ॥ माखन-रोटी हाथ-मुँह लीनी, गउवन के रखवारे । मीरा के प्रभु गिरधर नागर , सरण आयाँ को तारै
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निम्नलिखित पदों में कवियित्री ये कहना चाहती है कि हे कान्हा! हे मेरे प्यारे लाल उठो !जागो ...रात बीत चुकी है सुबह हो आई है सभी घरों के दरवाजे खुल चुकें हैं।हे लाल ! सुबह हो चुकी है ऋषि मुनि आम जनता तुम्हारे दरवाजे पर खड़ें है।सभी ग्वाले और तुम्हारे मित्र हंसी ठिठोली कर रहे हैं और तुम्हारी जय-जयकार कर रहे हैं।तभी मुरली मनोहर कान्हा माखन रोटी मुंह में डालकर खाते हुए गायों की देखभाल करने चले जाते हैं। मीरा कहतीं हैं हे गिरधर गोपाल !!! हम आपके चरणों में नतमस्तक हैं अब आप ही हमें तार सकतें हैं मोक्ष दिलवा सकतें हैं।।
निम्नलिखित पद का भावार्थ लिखिए। जागो बंसीवारे ललना! जागो मोरे प्यारे! रजनी बीती, भोर भयो है, घर-घर खुले किंवारे । गोपी दही मथत, सुनियत हैं कंगना के झनकारे ।। उठो लालजी ! भोर भयो है, सुर-नर ठाढ़े द्वारे । ग्वाल-बाल सब करत कुलाहल, जय-जय सबद उचारै ॥ माखन-रोटी हाथ-मुँह लीनी, गउवन के रखवारे । मीरा के प्रभु गिरधर नागर , सरण आयाँ को तारै