निम्नलिखित पद का भावार्थ लिखिए। (३) जागो बंसीवारे ललना! जागो मोरे प्यारे! रजनी बीती, भोर भयो है, घर-घर खुले किंवारे । गोपी दही मथत, सुनियत हैं कंगना के झनकारे ।। उठो लालजी ! भोर भयो है, सुर-नर ठाढ़े द्वारे । ग्वाल-बाल सब करत कुलाहल, जय-जय सबद उचारै ॥ माखन-रोटी हाथ-मुँह लीनी, गउवन के रखवारे । मीरा के प्रभु गिरधर नागर , सरण आयाँ को तारै ॥
Answers
Answered by
1
Answer:
मीरा बाई के इस पद में वो यशोदा माँ द्वारा कान्हा जी को सुबह जगाने के दृश्य का वर्णन कर रही हैं।
यशोदा माता कान्हा जी से कहती हैं कि ‘उठो कान्हा! रात ख़त्म हो गयी है और सभी लोगों के घरों के दरवाजे खुल गए हैं। ज़रा देखो, सभी गोपियाँ दही को मथकर तुम्हारा मनपसंद मक्खन निकाल रही हैं। हमारे दरवाज़े पर देवता और सभी मनुष्य तुम्हारे दर्शन करने के लिए इंतज़ार कर रहे हैं। तुम्हारे सभी ग्वाल-मित्र हाथ में माखन-रोटी लिए द्वार पर खड़े हैं और तुम्हारी जय-जयकार कर रहे हैं। वो सब गाय चराने जाने के लिए तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। इसलिए उठ जाओ कान्हा!
Similar questions