निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए - 1x5=5 M "सो उड़ने का यही आनंद है- भर पाया मैं तो। पक्षी भी कितने मूर्ख हैं। धरती के सुख से अनजान रहकरआकाश की ऊँचाइयों को नापना चाहते थे। किंतु अब मैंने जान लिया कि आकाश में कुछ नहीं रखा।केवल ढेर सी रोशनी के सिवा वहाँ कुछ भी नहीं, शरीर को सँभालने के लिए कोई स्थान नहीं ,कोई सहारा नहीं। फिर वे पक्षी किस बूते पर इतनी डींगें हाँकते हैं ,किसलिए धरती के प्राणियों को इतना छोटा समझते हैं।अब मैं कभी धोखा नहीं खाऊँगा, मैंने आकाश देख लिया और खूब देख लिया।
प्र-1 यह गद्यांश कौन-से पाठ से लिया गया है ?
प्र-2 गद्यांश में "मैं" शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है?
प्र-3 पक्षी मूर्ख क्यों हैं ?
प्र-4 आकाश में क्या नहीं है ?
प्र-5 पक्षी किन प्राणियों को छोटा समझते हैं ?
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3 पक्षी मुर्ख है क्योकि वह धरती के सुख से अंजान रहकर आकाश की ऊँचाइयों को नापना चाहते हैं |
4 आकाश में शरीर को संभालने के लिए कोई स्थान नही है कोई सहारा नही है |
5 पक्षी धरती के प्राणियों को छोटा समझते है |
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