निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़े और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखे |
अभी न होगा मेरा अंत अभी-अभी ही तो आया है
मेरे वन में मृदुल वसंत अभी न होगा मेरा अंत। हरे-हरे ये पात, डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात। मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर फेरूँगा लंगा निद्रित कलियों पर जगा एक प्रत्यूष मनोहर।
4 . कविता के लेखक का नाम है | *
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Explanation:
Suryakant Tripathi Nirala
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