निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों का उत्तर दें
जीना भी एक कला है
. इसे बिना जाने हीं, मानव बनने कौन चला है ? फिसले नहीं,चलें, चटटानों पर इतनी मनमानी . आँख मूँद तोड़े गुलाब,कुछ चुभे न क्या नादानी ? अजी,शिखर पर जो चढ़ना है तो कुछ संकट झेलो, चुभने दो दो-चार खार, जी भर गुलाब फिर ले लो. तनिक रुको, क्यों हो हताश,दुनिया क्या भला बला है ? जीना भी एक कला है.
1 काव्यांश की प्रथम पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए 2 आंख मूंदकर गुलाब तोड़ने का क्या अर्थ है? 3 मनुष्य हताश कब हो जाता है? 4. दिए काव्यांश का शीर्षक बताइए।
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निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों का उत्तर दें
जीना भी एक कला है
. इसे बिना जाने हीं, मानव बनने कौन चला है ? फिसले नहीं,चलें, चटटानों पर इतनी मनमानी . आँख मूँद तोड़े गुलाब,कुछ चुभे न क्या नादानी ? अजी,शिखर पर जो चढ़ना है तो कुछ संकट झेलो, चुभने दो दो-चार खार, जी भर गुलाब फिर ले लो. तनिक रुको, क्यों हो हताश,दुनिया क्या भला बला है ? जीना भी एक कला है.
1 काव्यांश की प्रथम पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए 2 आंख मूंदकर गुलाब तोड़ने का क्या अर्थ है? 3 मनुष्य हताश कब हो जाता है? 4. दिए काव्यांश का शीर्षक बताइए।
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